धान की पराली को जलाने की बजाए खेतों में मिलाएं

कृषि उपनिदेशक डा. राकेश कुमार ने किसानों से आह्वान किया है कि पर्यावरण संतुलन और मिट्टी की उर्वरकता को बनाए रखने के लिए धान की पराली को खेतों में नहीं जलाएं बल्कि पराली को खेत में ही मिला दें।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 08:23 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 08:23 PM (IST)
धान की पराली को जलाने की बजाए खेतों में मिलाएं
धान की पराली को जलाने की बजाए खेतों में मिलाएं

सहारनपुर, जेएनएन। कृषि उपनिदेशक डा. राकेश कुमार ने किसानों से आह्वान किया है कि पर्यावरण संतुलन और मिट्टी की उर्वरकता को बनाए रखने के लिए धान की पराली को खेतों में नहीं जलाएं बल्कि पराली को खेत में ही मिला दें।

डा. राकेश कुमार ने कहा कि पराली के लिए अब जिले में बहुत अच्छे यंत्र, सुपर सीडर विभिन्न किसानों, ग्राम पंचायत समितियों, गन्ना समितियों, कोऑपरेटिव सोसाइटी के पास उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग करके किसान धान की कटाई के बाद सीधे ही गेहूं की बुवाई मशीन द्वारा कर सकते हैं। पराली को बिना जलाए किसान पराली को खेत में ही सड़ा सकते हैं। इसके लिए पराली वाले खेत में पानी भरें और दो किलो यूरिया प्रति बीघा के हिसाब से छिड़क दें या वेस्ट डीकंपोजर का घोल भी स्प्रे मशीन के द्वारा छिड़क दें तो 15 से 20 दिन में यह पराली स्वयं ही सड़ जाएगी और खेत में कार्बनिक तत्वों को बढ़ाएगी, ऐसा करने से भविष्य वाली फसल की उपज भी बढ़ेगी। इसके लिए वेस्ट डी कंपोजर सभी बीज स्टोरों पर निश्शुल्क उपलब्ध है। कृषि यंत्र भी किसानों के आसपास फारम मशीनरी बैंक या कस्टम हायरिग सिस्टम के अंतर्गत सरकार द्वारा उपलब्ध कराएं गये है। उप कृषि निदेशक ने कहा कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा पराली जलाने पर दंड का प्रावधान किया गया है। इसकी पुनरावृत्ति करने पर कारावास तक हो सकता है। उन्होंने कहा कि गेहूं की अधिक बिजाई सुपर सीडर मशीन के माध्यम से करें, जिससे गेहूं बोने की लागत भी बहुत कम हो जाती है। यदि खेत में पानी की कमी है तो किसान बिजाई करने के बाद हल्का पानी चला सकते हैं।

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