नशे में सिस्टम.. होश में तस्कर

जिला नशे का इंटरस्टेट ट्रांजिट प्वाइंट बन गया है। हरियाणा उत्तराखंड हिमाचल की सीमा पर स्थित यह जिला नशे का अंतर राज्य ठिकाना बन चुका है। सीमावर्ती राज्यों खासकर पंजाब से यहां पर नशे के तार गहरे जुड़े हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 11:28 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 11:28 PM (IST)
नशे में सिस्टम.. होश में तस्कर
नशे में सिस्टम.. होश में तस्कर

सहारनपुर, जेएनएन। जिला नशे का इंटरस्टेट ट्रांजिट प्वाइंट बन गया है। हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल की सीमा पर स्थित यह जिला नशे का अंतर राज्य ठिकाना बन चुका है। सीमावर्ती राज्यों खासकर पंजाब से यहां पर नशे के तार गहरे जुड़े हैं। बड़ी मात्रा में यहां नशीले पदार्थो को लाकर खपाया जा रहा है। यहां से नशे को न केवल सहारनपुर बल्कि पश्चिम उप्र के सभी जिलों में भेजा जा रहा है। नशे के धंधे को बढ़ावा देने में सरकारी तंत्र की भूमिका सवालों के घेरे में है। नशे की बेल सरकारी तंत्र की बैसाखी के बगैर इतनी ऊंची नहीं जा सकती। यहां न तो सिस्टम जाग रहा है और न ही सामाजिक संगठन। आखिर कब तक ऐसा चलेगा। वह दिन कब आएगा। जब जिले को नशामुक्त किया जाएगा। उस दिन का हर व्यक्ति को इंतजार है। खासकर उसे जिसका युवा इस नशे की जकड़ में जकड़ा हुआ है। बिक रहा कई तरह का नशा

जिले में सबसे ज्यादा बिक्री स्मैक की है। स्मैक का नशा काफी महंगा नशा है। यह मिलीभगत के बिना नहीं बिक सकता। इसके अलावा जिले के सरसावा, नकुड़, बड़गांव, मिर्जापुर, झबीरन आदि कस्बों में अफीम, गांजा, नशे की गोलियां, कच्ची शराब, डोडा पोस्त की तस्करी की जा रही है। जिस कारण यहां के युवाओं का भविष्य चौपट हो रहा है। इन राज्यों से आ रहा नशा

एसओजी प्रभारी जयवीर ने हाल ही में तीन नशा तस्करों को गिरफ्तार किया था। इन तस्करों ने राजफाश किया था कि वह तो बरेली से नशे की खेप लेकर आते हैं, लेकिन बरेली में जो नशा तस्करी करते हैं वह नेपाल, गुजरात, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से नशे का सामान लेकर आते हैं। आरोपितों ने बताया था कि नशा लाने का तरीका यह है कि वाहन की टंकी में पुड़िया बनाकर डाल देते हैं। पूरे रास्ते चेकिग भी होती है तो पकड़े नहीं जाते हैं। लंबा है तस्करों का नेटवर्क

बरेली से बड़ा तस्कर नशा खरीदकर लाता है। जो नशा तस्कर बरेली से खरीदकर लाता है उसकी हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और सहारनपुर में अलग-अलग टीम होतीं हैं। वह नशे को इन सभी में सप्लाई करता है। सप्लाई करने वाले को केवल कमिशन पर रखा जाता है। जब वह अपना पूरा नशा बेच देता है तो वह कोड वर्ड में बात करके बताता है कि उसने अपना काम कर दिया है। जिसके बाद सप्लायर के एकाउंट में पैसा डाल दिया जाता है।

मिलीभगत से चल रहा अवैध धंधा

आबकारी और पुलिस विभाग चाहे तो नशे की तस्करी पर कम समय में ही लगाम लग सकती है, लेकिन इन विभागों से मिलीभगत के कारण तस्करी नहीं रुक रही है। जिस कारण सहारनपुर में यह धंधा बंद होने के बजाए, बढ़ता ही जा रहा है। शहर कोतवाली, देहात कोतवाली, कुतुबशेर, देहात कोतवाली आदि थाना क्षेत्रों में नशे की खूब तस्करी हो रही है। झबीरण में कई बार हुई पंचायत

सरसावा क्षेत्र के झबीरण गांव और देवबंद क्षेत्र के भी कई गांवों में कई बार नशा तस्करों के खिलाफ पंचायत हो चुकी है। कुछ पंचायतों में तो गांव में नशा करने वाले लोगों के परिवारों को लेकर नियम भी बनाए गए लेकिन समय के साथ सब पहले जैसा हो गया। सीएमओ डा. संजीव मांगलिक के अनुसार सूखा नशा इन बीमारियों को देता है जन्म

- गुर्दे पर सूखा नशा का सबसे पहले असर होता है।

- फेफड़ों को सूखा नशा सबसे अधिक खराब करता है।

- लीवर को नशा ठप कर देता है। भूख लगनी बंद तो खून बनना भी बंद।

- व्यकित का वजन कम होने लगता है।

- कैंसर जैसी बीमारी को नशा शरीर में आने का न्योता देता है।

- दिमाग की नशों को नशा कमजोर कर देता है।

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इंफो न्यूमेरिक

11 - नशामुक्ति केंद्र वर्तमान में जिले में है मौजूद।

213 - युवाओं का नशामुक्ति केंद्रों में चल रहा उपचार।

05 - औसतन रोजाना नशा सप्लायर चढ़ते हैं पुलिस के हत्थे।

241 - नशा तस्कर पुलिस द्वारा चिह्नित हैं जिले में।

4वां - युवक नशे की लत से है ग्रसित।

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नशे के खिलाफ हम जल्द ही अभियान चलाने वाले हैं। नए एसएसपी के आने पर उन्हें पूरा फीडबैक दिया जाएगा। पूरा मंथन करने के बाद एक रणनीति के तहत काम किया जाएगा। बड़े नशा तस्करों को पकड़कर जेल भेजा जाएगा।

राजेश कुमार, एसपी सिटी एवं कार्यवाहक एसएसपी

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हम यह भी पता कर रहे हैं कि आबकारी विभाग के कौन कौन कर्मचारी अधिकारी इस धंधे में लिप्त है। उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जल्द ही नशे के प्रति अभियान चलाया जाएगा।

वरुण कुमार, जिला आबकारी अधिकारी

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