जिम्मेदारी से करें दायित्वों का निर्वहन, कानून का हो पालन
पिछले कुछ वर्षों से देश में नागरिक अधिकारों व प्रजातंत्र के नाम पर ऐसे व्यवहार का प्रदर्शन किया जाने लगा है जिससे यह लगने लगा है कि इसे राष्ट्रहित मानें या राष्ट्रद्रोह।
सहारनपुर, जेएनएन। पिछले कुछ वर्षों से देश में नागरिक अधिकारों व प्रजातंत्र के नाम पर ऐसे व्यवहार का प्रदर्शन किया जाने लगा है, जिससे यह समझ पाना मुश्किल हो जाता है कि इसे राष्ट्रहित कहें या फिर राष्ट्रद्रोह। राजनीतिक रूप से देश, प्रदेश या शहर के बंद का नारा हो या फिर नागरिक समस्याओं को लेकर प्रदर्शन करना। सड़क जाम कर लोगों को असुविधा में डालना तथा सरकारी संपत्ति का नुकसान करना, यह सब अब रोज की बात है। शुरूआती दौर में यह कभी-कभार देखने को मिलता था, लेकिन अब तो मानो इसे एक हथियार बना दिया गया हो। यदि देखा जाए तो शुरूआती दौर में सरकारी संपत्ति के नुकसान होने का श्रेय भी हमारी राजनीतिक संस्कृति को ही जाता है।
बंद तथा राजनीतिक प्रदर्शनों में सत्ता पक्ष द्वारा किये जाने वाले विरोध की प्रतिक्रिया स्वरूप सरकारी गाड़ियों, इमारतों आदि को नुकसान पहुंचाने से इसकी शुरूआत हुई। तब इसे इतनी गंभीरता से नहीं लिया गया, लेकिन धीरे-धीरे इसे अपने विरोध का एक कारगर तरीका ही बना दिया गया। आज स्थिति यह है कि किसी मोहल्ले में बिजली की परेशानी हो या फिर पानी की समस्या, देखते-देखते लोग सड़क जाम कर धरना-प्रदर्शन शुरू कर देते हैं। पुलिस के थोड़ा भी बल प्रयोग या विरोध से यह प्रदर्शन आगजनी व तोड़फोड़ के हिसक प्रदर्शन में बदल जाता है। सब कुछ शांत हो जाने पर इस भीड़ तंत्र का कुछ नहीं बिगड़ता है। बाद में खानापूरी के बाद लाखों-करोड़ों रुपये के सरकारी नुकसान को बट्टे खाते में डालकर फाइल बंद कर दी जाती है।
स्वतंत्रता के अधिकार के लिए लोग अपने विचारों को भाषण, लेखन, व्यक्ति समालोचना, आलोचना या सरकारी नीतियों के खिलाफ बोलने के लिए स्वतंत्र हैं। वे देश के किसी भी कोने में कोई भी व्यवसाय करने के लिए स्वतंत्र हैं। धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार के तहत लोग अपनी पसंद के किसी भी धर्म को मानने, प्रचार करने और अनुकरण करने के लिए स्वतंत्र हैं। कोई भी किसी के धार्मिक विश्वास में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं रखता है। समानता के अधिकार में अमीर व गरीब, ऊंच-नीच में कोई भेदभाव और अंतर नहीं है। किसी भी धर्म, जाति, जनजाति, स्थान का व्यक्ति किसी भी कार्यालय में उच्च पद को प्राप्त कर सकता है। प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिल है और वह बच्चा किसी भी संस्था में किसी भी स्तर तक शिक्षा प्राप्त कर सकता है। शोषण के विरुद्ध अधिकार के तहत कोई भी किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध या 14 साल से कम उम्र के बच्चे से मजदूरी या वेतन के कार्य करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है। लेकिन देश का नागरिक होने के नाते हमारे कर्तव्य और जिम्मेदारियां भी हैं। हमें अपने राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए। देश के कानून का पालन और सम्मान करना चाहिए, यदि सभी नागरिक इन बातों का ध्यान रखेंगे, तभी देश उन्नति के रास्ते पर अग्रसर हो सकेगा। इसके अलावा संविधान में नागरिकों के लिए कई तरह के दायित्व निर्धारित किए गए है। देश की उन्नति के लिए प्रत्येक नागरिक को इन दायित्वों को पूरा करना चाहिए। देश की पहचान केवल क्षेत्र से नहीं होती उसकी अपनी अस्मिता, अपना संदर्भ, अपना आदर्श होता है। किसी देश की महानता का परिचय उस के आदर्श पुरुषों तथा महिलाओं से ही होती है। देश की लोकतंत्र प्रणाली पूरी तरह से देश के नागरिकों की स्वतंत्रता पर आधारित होती है। अधिकारों को दूसरों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किए बिना लेना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर अपने देश की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए। सदैव राष्ट्रीय धरोहर और सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान और रक्षा करनी चाहिए। देश के प्रति बड़ी राष्ट्रभक्ति यह भी है कि जो टैक्स हम पर बनते हैं, उन्हें हम सही समय पर भुगतान करें, ताकि सरकार उस राशि का सदुपयोग सार्वजनिक हित के कार्यों में करें इन बातों का ध्यान रखकर देश के प्रति अपने दायित्वों को पूरा कर सकते हैं। रुचि गुप्ता
प्रधानाचार्या, स्किल्ड ग्लोबिजंस स्कूल
बेहट रोड, सहारनपुर।