श्रीजी का अभिषेक कर मनाया उत्तम त्याग धर्म

रामपुर मनिहारान में जैन समाज के चल रहे दसलक्षण पर्व का आठवां दिन उत्तम त्याग धर्म के रुप में मनाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 06:27 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 06:27 PM (IST)
श्रीजी का अभिषेक कर मनाया उत्तम त्याग धर्म
श्रीजी का अभिषेक कर मनाया उत्तम त्याग धर्म

सहारनपुर, जेएनएन। रामपुर मनिहारान में जैन समाज के चल रहे दसलक्षण पर्व का आठवां दिन उत्तम त्याग धर्म के रुप में मनाया गया। प्रात: मंदिर जी में श्रीजी का अभिषेक पूजन प्रक्षाल की गई, जिसके बाद देव शास्त्र गुरू, आदिनाथ, वासूपूज्य, सोलहकारण, पंचमेरू, नंदीश्वर दीप, दशलक्षण धर्म पर्व और उत्तम त्याग धर्म की पूजा-अर्चना की गई। पं अतिशय शास्त्री व सिद्धार्थ शास्त्री ने कहा कि पर्यूषण महापर्व का आठवां दिन उत्तम त्याग का दिन है। त्याग का अर्थ बताते हुए कहा कि त्याग शब्द से ही पता लग जाता है कि इसका मतलब छोड़ना है। जीवन को संतुष्ट बना कर अपनी इच्छाओं को वश में करना है। यह न सिर्फ अच्छे गुणवान कर्मों में वृद्धि करता है, बल्कि बुरे कर्मों का नाश भी करता है। इस दौरान जैन समाज के अध्यक्ष मनोज जैन, उपाध्यक्ष निपुण जैन, अनुराग जैन, शशांक जैन, अभिषेक जैन ,आर्जव जैन, भुपेंद्र जैन, अमित जैन, विनित जैन, विजय जैन, सचिन जैन, नमन जैन, प्रशांत जैन, अरिहंत जैन, आरती जैन, संगीता जैन, रेखा जैन, दिव्या जैन, प्रिती जैन, प्रिया जैन आदि का सहयोग रहा।

संवाद सूत्र, अंबेहटा: दशलक्षण धर्म शाश्वत महापर्व के उपलक्ष में नगर के श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर में महिलाओ व पुरुषों ने विशेष पूजा अर्चना की। शुक्रवार को दशलक्षण पर्व के आठवें दिन मंदिर में पूजा अर्चना के बाद अरूण जैन ने बताया कि आत्मशुद्धि के उद्देश्य से विकार भाव छोड़ना तथा स्व-पर उपकार की दृष्टि से धन आदि का दान करना त्यागधर्म है। अत: भोग में लाई गई वस्तु को छोड़ देना भी त्याग धर्म है।आध्यात्मिक ²ष्टि से राग,द्वेष ,क्रोध व मान आदि विकार भावों का आत्मा से छूट जाना ही त्याग है। दान के मूल चार भेद हैं- (1) पात्रदान, (2) दयादान (3) अन्वयदान (4)समदान। मुनि, आर्यिका, ऐलक, क्षुल्लक, आदि धर्मपात्रों को दान देना पात्रदान है। महाव्रतधारी मुनि उत्तम पात्र है। अणुव्रती श्रावक माध्यम पात्र हैं। व्रतरहित सम्यग्²ष्टि जघन्य पात्र हैं। इनको दिया जाने वाला दान 4 प्रकार का है (1) आहारदान (2) ज्ञानदान, (3) औषधदान (4) अभयदान।इस अवसर पर जैन समाज से विरेन्द्र, अजनैश, अंकित, बाबी, सीमा, रितिका, चारू, सुमन, हर्ष, राहुल, योगेश, अभिषेक जैन आदि मौजूद रहे। अंबेहटा स्थित मंदिर में पूजा-अर्चना करती जैन समाज की महिलाएं।

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