फुलवारी आश्रम की गुफा में शहीदे आजम भगत सिंह दो बार थे छुपे
सहारनपुर का फुलवारी आश्रम आजादी के आंदोलन का गवाह रहा है। आंदोलनकारियों की शरण स्थली रहे फुलवारी आश्रम से ही नमक आंदोलन शहर में चला था। आश्रम के परिसर के मंदिर और यहां लगने वाला अखाड़ा आजादी के दीवानों की यादें ताजा करता है।
सहारनपुर, जेएनएन। सहारनपुर का फुलवारी आश्रम आजादी के आंदोलन का गवाह रहा है। आंदोलनकारियों की शरण स्थली रहे फुलवारी आश्रम से ही नमक आंदोलन शहर में चला था। आश्रम के परिसर के मंदिर और यहां लगने वाला अखाड़ा आजादी के दीवानों की यादें ताजा करता है। स्वतंत्रता सेनानी ललता प्रसाद अख्तर ने वर्ष 1919 में गो रक्षा के सामाजिक सुधार की शपथ लेकर हिदू कुमार सभा की स्थापना की थी। इसी बीच उन्होंने फुलवारी आश्रम में अपने साथियों के साथ रक्षाबंधन पर एक मेला भी शुरू किया था, जिसे वीर पूजा का नाम दिया गया था। उन दिनों यहां असहयोग आंदोलन अपने चरम पर था 1921 तक सहारनपुर के आजादी के दीवानों में रतनलाल बाबू मेला राम सहित अनेक आंदोलनकारी शामिल हो चुके थे। नमक आंदोलन की नींव 18 अप्रैल 1930 में अजीत प्रसाद जैन की अगुवाई में हुई और यहीं से नमक आंदोलन की नींव सहारनपुर में पड़ गई थी, 6 अप्रैल 1930 के बाद दांडी में जब गांधी जी ने नमक कानून तोड़ा तो यहां भी आंदोलन की ज्वाला जल उठी थी 24 अप्रैल को ललता प्रसाद अख्तर और कांग्रेस के सदर मौलवी मंजू रूल नबी को नौजवान सभा का जलसा करने का आरोप में अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था और 26 अप्रैल 1930 को नमक कानून तोड़ने का आंदोलन शुरू हुआ। गुरुकुल कांगड़ी से आए जत्थे ने कांग्रेस के दफ्तर से जुलूस निकाला तो हर गली हर बाजार में उसका जोरदार स्वागत किया गया। जलूस में उस समय 10000 से लोग अधिक शामिल हुए थे। विशाल जुलूस को देखकर अंग्रेजों के पसीने छूट गए थे, बाबा लाल दास रोड स्थित फुलवारी आश्रम में पहुंचने पर जुलूस का स्वागत हुआ और यहां नमक कानून तोड़ने के साथ ही विदेशी कपड़ा छोड़ने की भी शपथ ली गई 27 अप्रैल को एक जत्था रतनलाल के नेतृत्व में शहर के मुख्य बाजारों से होकर फुलवारी आश्रम पहुंचा था और वहां नमक बनाया गया था आजादी के मतवालों ने बाद में विदेशी कपड़ों की होली भी जलाई थी 13 मई को गांधीजी की गिरफ्तारी के बाद यहां भी आजादी के मतवालों पर मुकदमे दर्ज हुए थे और इसी बीच शहीद ए आजम भगत सिंह दो बार सहारनपुर आए और फुलवारी आश्रम में स्थित श्री कृष्ण मंदिर के ऊपर बनी गुफा में रहे थे यहां उन्होंने गुप्त बैठकें भी की थी पांवधोई नदी के किनारे बसा फुलवारी आश्रम आजादी के आंदोलन का गवाह रहा है।