दाल कारोबारियों का पंजीकरण, कालाबाजारी-महंगाई पर लगेगी लगाम
कोरोना लाकडाउन में दाल की कीमतें तेजी से बढ़ी। सरकारी नियंत्रण कमजोर होने के कारण स्थिति बेकाबू रही थी। इस पर शिकंजा कसने के लिए प्रदेश सरकार ने अब दलहन कारोबारियों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की है ताकि उनसे साप्ताहिक आधार पर स्टाक का ब्योरा लिया जा सके और भंडारण-कालाबाजारी को रोका जा सके।
सहारनपुर, जेएनएन। कोरोना लाकडाउन में दाल की कीमतें तेजी से बढ़ी। सरकारी नियंत्रण कमजोर होने के कारण स्थिति बेकाबू रही थी। इस पर शिकंजा कसने के लिए प्रदेश सरकार ने अब दलहन कारोबारियों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की है, ताकि उनसे साप्ताहिक आधार पर स्टाक का ब्योरा लिया जा सके और भंडारण-कालाबाजारी को रोका जा सके। सहारनपुर में 16 कारोबारियों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। माना जा रहा है कि इससे दाल के दाम नियंत्रित हो सकेंगे।
आमतौर पर गरीब व मध्यमवर्गीय परिवार में यही कहा जाता है कि दाल-रोटी खाकर गुजारा कर रहे हैं। कोरोना लाकडाउन के दौरान यूं तो लगभग सभी वस्तुओं के दाम में तेजी आ गई थी। मगर दाल के दाम जिस तेजी से बढ़े, उससे हर कोई हैरान था। दाल के दाम 200 रुपये किलो तक पहुंच गए थे। उस समय दलहन कारोबारियों पर विभाग का कोई नियंत्रण नहीं था, जिस कारण कारोबारियों ने अपनी मर्जी से दाल के दाम बढ़ा दिये थे। मगर अब कोरोना के मामले घटने के साथ ही सरकार ने भी इसका संज्ञान लेना शुरू किया तो खाद्य एवं विपणन विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई। खाद्य एवं विपणन ने इस जिम्मेदारी को संभालते हुए थोक दलहन कारोबारियों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कराई, जिसके तहत अब तक 16 बड़े कारोबारियों ने विभाग में अपने पंजीकरण कराए हैं। ये सभी दलहन कारोबारी हर सप्ताह अपने स्टाक की जानकारी विभाग को देंगे कि उनके यहां कौन सी दाल कितनी है। दलहन कारोबारी द्वारा दी गई जानकारी सही है या नहीं, इसकी जांच खुद विभागीय अधिकारी भी उनकी दुकानों व गोदामों पर जाकर जांच करेंगे। सरकार की यह पूरी कवायद दालों के भंडारण और काला बाजारी को रोककर प्राइस कंट्रोल करने की है, ताकि आम व्यक्ति को सही दाम में दाल मिल सके। इनका कहना है..
करीब 20-30 साल पहले दाल का हिसाब रखा जाता था। मगर बीच में इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। सरकार ने अब एक बार फिर दलहन कारोबारियों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की है, ताकि उसके पास इस बात की जानकारी रहे कि किस जनपद में कौन सी दाल कितनी है। इससे दाल के अवैध भंडारण व कालाबाजारी पर भी रोक लगेगी। दलहन कारोबारी द्वारा अरहर, उड़द, चना, मसूर व मूंग की दाल का रिकार्ड हर हफ्ते दिया जाएगा। उसके बाद विभागीय अधिकारी भी उसकी जांच करेंगे। पंजीकरण का दायरा बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
--प्रिस चौधरी, जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी सहारनपुर।