सब देवता अप्रत्यक्ष केवल सूर्य भगवान ही हैं प्रत्यक्ष
सरसावा में श्री बनखंडी महादेव मंदिर में चल रहे कार्तिक मास की कथा सुनाते पंडित अनिल कौशिक ने कहा कि जो मनुष्य कार्तिक में तुलसी वृक्ष के नीचे श्री राधा कृष्ण जी की मूर्ति का निष्काम भाव से पूजन करते हैं।
सहारनपुर, जेएनएन। सरसावा में श्री बनखंडी महादेव मंदिर में चल रहे कार्तिक मास की कथा सुनाते पंडित अनिल कौशिक ने कहा कि जो मनुष्य कार्तिक में तुलसी वृक्ष के नीचे श्री राधा कृष्ण जी की मूर्ति का निष्काम भाव से पूजन करते हैं। उन्हें जीवनमुक्त समझना चाहिए। हजारों पापों से युक्त मनुष्य क्यों न हो वह कार्तिकेय स्नान से अवश्य ही पाप मुक्त हो जाते हैं।
उन्होंने बताया कि तुलसी के अभाव में आंवले के नीचे पूजा करनी चाहिए मुख्य पूजा की विधि सूर्य मंडल में करनी चाहिए अर्थात सूर्य मंडल की ओर देखकर के सूर्य रूपी नारायण के लिए पूजनोउपचार समर्पित करना चाहिए। सब देवता अप्रत्यक्ष हैं केवल यह भगवान सूर्य ही प्रत्यक्ष हैं। अन्य सब देवता काल के अधीन है, परंतु भगवान सूर्य काल के भी काल हैं कार्तिक के महीने में धर्म को जानने वाला जो पुरुष गोरोचन और कस्तूरी का दान करता है, जो विश्राम साला बनवा करके प्याऊ सहित ब्राह्मण को दान करता है। वह धर्मात्मा है जो प्याऊ लगवाता है। कुआ बावड़ी बनवाता है, भगवान स्वयं आलिगन कर अपने धाम को ले जाते हैं जो मनुष्य कार्तिक के महीने में परोपकार करते हैं और स्वयं कष्ट उठाते हैं वहीं पुण्य आत्मा है संसार में वही संत माने गए हैं जो दूसरों के दुखों का नाश करते हैं तथा पीड़ित जीवों की पीड़ा दूर करने के लिए जिन्होंने अपने प्राणों को तिनके के समान निछावर कर दिया है जो मनुष्य सदा दूसरों की भलाई के लिए उद्धत रहते हैं। उन्होंने ही इस पृथ्वी पर मानो परम कार्तिक का स्नान कर लिया है कथा के अवसर पर अत्यधिक महिला एवं पुरुष उपस्थित रहे।