पंचायती नेतृत्व को पर्दे से निकलना सिखा रहीं माया देवी

लखनौती में पंचायत की राजनीति में महिलाएं अभी भी पर्दे के पीछे हैं। वे भले ही ग्राम प्रधान का चुनाव जीत जाएं लेकिन कामकाज का जिम्मा परिवार के पुरुषों का ही रहता है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 11:16 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 11:16 PM (IST)
पंचायती नेतृत्व को पर्दे से निकलना सिखा रहीं माया देवी
पंचायती नेतृत्व को पर्दे से निकलना सिखा रहीं माया देवी

सहारनपुर, जेएनएन। लखनौती में

पंचायत की राजनीति में महिलाएं अभी भी पर्दे के पीछे हैं। वे भले ही ग्राम प्रधान का चुनाव जीत जाएं लेकिन कामकाज का जिम्मा परिवार के पुरुषों का ही रहता है। यह किसी एक गांव मे नहीं, अमूमन हर गांव में ऐसा ही होता है। 70 वर्षीय महिला प्रधान माया देवी ने इस मिथक को तोड़ा है। वह इस उम्र में भी अपनी प्रधानी खुद करती हैं। प्रत्येक ग्रामीण से खुद रूबरू होकर समस्याओं का समाधान करने के साथ-साथ वह पर्दे के पीछे बैठी महिला प्रधानों के लिए नजीर भी बनी हैं।

महिला सशक्तीकरण की यह कहानी गंगोह ब्लाक के गांव हैदरपुर की है। यहां 70 वर्षीय माया देवी की इच्छा चुनाव लड़ने की नहीं थी। गांव वालों ने उन्हें चुनाव लड़वाया और ग्राम प्रधान चुना। गांव वालों की समस्याओं का निराकरण कराना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है। वह खुद सबसे मिलती हैं, समस्याएं सुनती हैं। समस्याओं के निराकरण के लिए अफसरों से मुलाकात करती हैं, ताकि गांव का विकास हो सके।

आमतौर पर महिला प्रधान चुने जाने पर पति या परिवार के लोग ही प्रधानी की कमान संभालते है लेकिन मायादेवी इस प्रथा की विरोधी हैं। वह खुद ही ग्रामीणों से मुलाकात करती हैं। बढ़ती उम्र उनके कार्यों में कभी बाधा नहीं बनती। उनके कार्यों की चर्चा दूरदराज गांवों में भी होती है।

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प्रधान बनते ही शुरू कराया काम

गांव में गंदे पानी की निकासी सबसे बड़ी समस्या थी। माया देवी ने चुनाव जीतते ही समस्या के निदान के लिए लिए नाला निर्माण शुरू कराया। इससे नाले का पानी गांव के बड़े नाले में होकर सीधा तालाब में जाएगा, जिससे तालाब को भी संरक्षण मिलेगा। कोरोना से बचाव के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं। पूरे गांव में खुद खड़े होकर सैनिटाइजेशन कराती हैं। माया कहती हैं कि राशन कार्ड, आवास व पेंशन योजना सहित सभी सरकारी योजनाओं का लाभ पात्रों को मिले, यही मेरी प्राथमिकता है।

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माया की पारिवारिक पृष्ठभूमि

ग्राम प्रधान मायादेवी के पति व एक बेटे का निधन हो चुका है। एक पुत्र मनोज कुमार प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक है। मनोज की पत्नी भी प्राइमरी स्कूल में शिक्षिका हैं।

---------------------- महिला प्रधान अपनी जिम्मेदारी को समझें, यह बेहद आवश्यक है। मायादेवी ग्राम प्रधान बनने के बाद अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन खुद करती हैं, जो सराहनीय है। इससे अन्य महिला प्रधानों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए।

-अखिलेश सिंह, डीएम

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