भाकियू जिलाध्यक्ष हसीब के खिलाफ एससीएसटी एक्ट के मुकदमे में दोबारा होगी जांच

रामपुर तहसील सदर में कर्मचारियों से मारपीट बंधक बनाने अभिलेख फाड़ने जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने जैसे आरोपों में फंसे भाकियू जिलाध्यक्ष हसीब अहमद की मुश्किल बढ़ गई है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Nov 2021 11:15 PM (IST) Updated:Tue, 16 Nov 2021 11:15 PM (IST)
भाकियू जिलाध्यक्ष हसीब के खिलाफ एससीएसटी एक्ट के मुकदमे में दोबारा होगी जांच
भाकियू जिलाध्यक्ष हसीब के खिलाफ एससीएसटी एक्ट के मुकदमे में दोबारा होगी जांच

रामपुर : तहसील सदर में कर्मचारियों से मारपीट, बंधक बनाने, अभिलेख फाड़ने, जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने जैसे आरोपों में फंसे भाकियू जिलाध्यक्ष हसीब अहमद की मुश्किल बढ़ गई है। इस मामले में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी, जिस पर कोर्ट ने दोबारा विवेचना के आदेश कर दिए हैं। मामला जून 2019 का है। तत्कालीन तहसीलदार संजय सिंह ने गंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि वह मुख्यमंत्री के संभावित कार्यक्रम को लेकर लेखपालों और अन्य राजस्व कर्मियों के साथ बैठक कर रहे थे। इस दौरान भाकियू जिलाध्यक्ष हसीब अहमद, वीरेंद्र सिंह यादव, मोहम्मद तालिब, होरी लाल, छिद्दा मियां, होम सिंह यादव समेत तमाम किसान सभागार में आ गए और कर्मचारियों को बंधक बना लिया। किसानों ने कर्मचारियों के साथ गाली-गलौज की और मारपीट करने के साथ ही जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर सरकारी कार्य में बाधा डालते हुए अभिलेख भी फाड़ दिए। गंज थाना पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगाते हुए केस खत्म कर दिया था। स्पेशल जज (एससी-एसटी) कोर्ट के न्यायाधीश अमित वीर सिंह ने पुलिस की फाइनल रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए पुलिस को दोबारा विवेचना करने के आदेश दिए हैं। प्रमुख सचिव, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को पत्र भी भेजा है, जिसमें दोबारा विवेचना के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की नियुक्ति को कहा है।

कोर्ट में पेश वारंटियों में एक फर्जी निकला, रिपोर्ट

जासं, रामपुर : गैर जमानती वांरट निरस्त कराने पहुंचे चार आरोपितों में एक फर्जी निकला। एक वांरटी ने अपने स्थान पर किसी अन्य को भेज दिया। इस पर कोर्ट ने उसकी वारंट निरस्त करने की अपील खारिज करते हुए पुलिस को सौंप दिया। उसके खिलाफ सिविल लाइंस कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर लिया है।

मामला टांडा थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। टांडा थाने में 2016 में अफसाद की ओर से चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। यह मामला कोर्ट में चल रहा है। इस मामले में कोर्ट की ओर से चार लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए गए थे। गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद आरोपितों के अधिवक्ता ने चारों को कोर्ट में पेश करते हुए वारंट निरस्त करने का प्रार्थना पत्र दिया था। चारों आरोपी कोर्ट में हिरासत में लिए गए थे। इस बीच इस मुकदमे के वादी ने कोर्ट को बताया कि इनमें एक आरोपित फर्जी है। उसके स्थान पर किसी अन्य को पेश किया गया है। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया। जांच कराई तो पता चला कि आरोपित याकूब पुत्र खलील के खिलाफ वारंट जारी हुए थे, जबकि उसके स्थान पर कोर्ट में अहमदाबाद गांव निवासी फुरकान पुत्र आशक अली पेश हुआ है।

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