रामपुर ने दिखाई समझदारी, कोरोना कर्फ्यू में निभाई जिम्मेदारी
रामपुर करीब साल भर पहले की बात है जब लाकडाउन का पालन कराने में पुलिस को बहुत मेहनत करनी पड़ी थी।
रामपुर : करीब साल भर पहले की बात है जब लाकडाउन का पालन कराने में पुलिस को बहुत मेहनत करनी पड़ी थी। घर से बिना वजह बाहर निकलने वालों को डंडे की भाषा में समझाना पड़ा था। लेकिन, रविवार को कोरोना कर्फ्यू में शहर नजारा ही बदला हुआ था। सड़कों पर पुलिस नहीं थी। बावजूद इसके सन्नाटा पसरा था। हाईवे समेत शहर की सड़कें और गलियां तक सुनसान थीं। इक्का-दुक्का लोग दिखाई भी दिए, लेकिन वे भी जरूरी काम से निकले और मास्क भी लगा हुआ था। दरअसल, जिले की पुलिस इन दिनों पंचायत चुनाव में व्यस्त है। यहां पहले चरण में मतदान शांतिपूर्ण हो चुका है और अब दूसरे जिलों में हो रहे चुनाव में ड्यूटी दे रही है। ऐसे में थाने खाली हो चुके हैं। थानों में चंद पुलिस कर्मी ही बचे हैं। किसी-किसी चौकी में तो मात्र एक ही पुलिस कर्मी रह गया है। ऐसे में कोरोना कर्फ्यू का पालन कराने के लिए होमगार्डों और पीआरडी जवानों के कंधों पर जिम्मेदारी थी। लेकिन, इनकी संख्या भी कम थी। बावजूद इसके लोगों ने समझदारी का परिचय दिया। उन्होंने घरों से न निकलकर साबित कर दिया कि वे भी अब कोरोना से निजात चाहते हैं। इसके लिए जो कोरोना कर्फ्यू लगाया है, वह उनकी परेशानी के लिए नहीं, बल्कि हिफाजत के लिए है। यह सोचकर लोगों ने रविवार का अवकाश अपने परिवार के साथ घर में ही एंज्वाय किया। उन्होंने टीवी देखकर और बच्चों के साथ खेलकर समय बिताया। इसके चलते शहर की सड़कों और गलियों पर सन्नाटा पसरा रहा। शहर के व्यस्त बाजार कहे जाने वाले शादाब मार्केट, नसरुल्ला खां बाजार, मिस्टन गंज चौराहा, सराफा बाजार, बर्तन बाजार, पुराना गंज, शाहबाद गेट चौराहा, हाथीखाना चौराहा, ज्वालानगर, सिविल लाइंस मुख्य बाजार आदि सूनसान नजर आए। रोडवेज और रेलवे स्टेशन पर भी सन्नाटा पसरा रहा। इक्का-दुक्का यात्री ही नजर आए। हालांकि कोरोना कर्फ्यू में जरूरी सेवाएं दूध, दवा, पेट्रोल पंप आदि खुले रहे। हालांकि, वहां भी कोविड नियमों का पालन किया गया। यहां भी बहुत कम लोग नजर आए। जो लोग जरूरत के लिए घर से बाहर निकले तो उन्होंने कोरोना से बचाव के लिए मास्क भी लगाया।