बदल रहा शहर, आबादी में पुरुषों से आगे निकल गईं महिलाएं
रामपुर मेरा शहर बदल रहा है। लोगों की सोच बदल रही है। बेटियों के पैदा होने पर कोई दुखी नहीं होता है। उनकी परवरिश भी बेटों की तरह की जा रही है। यही वजह है कि शहर में पिछले पांच साल में बेटियों की जन्मदर बेटों से ज्यादा हुई है।
रामपुर : मेरा शहर बदल रहा है। लोगों की सोच बदल रही है। बेटियों के पैदा होने पर कोई दुखी नहीं होता है। उनकी परवरिश भी बेटों की तरह की जा रही है। यही वजह है कि शहर में पिछले पांच साल में बेटियों की जन्मदर बेटों से ज्यादा हुई है। इसकी पुष्टि एनएफएचएस-5 (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे) की रिपोर्ट कर रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक रामपुर में पिछले पांच साल में लिगानुपात बढ़ गया है। पांच साल पहले एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 986 थी, जो अब बढ़कर 1022 हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक इसके पीछे कई कारण हैं। महिलाएं जागरूक हो रही हैं। उनकी साक्षरता दर बढ़ रही है। एनएफएचएस-4 की सर्वे रिपोर्ट में जिले में छह साल से अधिक आयु वाली 53.7 फीसद लड़कियां ही स्कूल जा रही थीं, इनकी संख्या अब बढ़कर 57.6 फीसद हो गई है। कम आयु में लड़कियों की शादी की दर में भी कमी आई है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संजीव यादव का कहना है कि भ्रूण हत्या में कमी भी इसकी एक वजह है। शासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने भ्रूण की लिग जांच पर रोक लगाने के लिए सख्ती की। सख्ती के बाद लिग का पता करने की कोशिशों में कमी आई है, जिससे महिलाओं की तादाद पुरुषों की तुलना में ज्यादा हो गई।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक प्रभात कुमार बताते हैं कि आजकल महिलाएं गर्भ निरोधक के मार्डन तरीके अपना रही हैं। सबसे ज्यादा वृद्धि इंजेक्टेबल तरीके में हुई है। पांच साल पहले की सर्वे रिपोर्ट में 0.1 फीसद महिलाएं यह तरीका अपनाती थीं, जबकि इस बार की सर्वे रिपोर्ट में इनकी संख्या 0.8 फीसद हो गई है।
मनोविज्ञान-सामाजिक परामर्शदाता डा. कुलदीप चौहान का मानना है कि महिलाएं पुरुषों से कम नहीं होती हैं, यह बात अब छोटे शहरों के लोग भी समझने लगे हैं। यही वजह रही कि पांच साल में रामपुर जिले में पैदा होने वाली बेटियों की तादाद बढ़ गई। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने की योजना से भी यह दर बढ़ी है।
दयावती मोदी अकादमी की प्रधानाचार्या डा. सुमन तोमर का कहना है कि अब समय बदल रहा है। महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधा मिलाकर चल रही हैं। ट्रेन से लेकर प्लेन तक उड़ा रही हैं। इससे बेटा-बेटी के बीच अंतर मानने वालों की संख्या कम हो रही है। यही वजह है कि जन्म दर के मामले में भी महिलाएं पुरुषों से आगे निकल गई हैं। बेटियों से घर में होती रौनक
आवास विकास कालोनी निवासी आदित्य वर्मा और पिया वर्मा दो प्यारी सी बेटियों के माता-पिता हैं। उनकी बड़ी बेटी सोहम सात साल की है, जबकि छोटी सान्वी तीन साल की है। आदित्य कहते हैं कि उन्हें दोनों बेटियां बहुत प्यारी हैं। दोनों की पैदाइश पर वह और उनका परिवार खुश था। हमें दो ही बच्चे चाहिए थे। वह बेटा हो या बेटी, कभी इसकी इच्छा नहीं की। दोनों बेटियों से घर में रौनक रहती है। आदित्य डीएमए में हेड एडमिन हैं और उनके पिता सुभाष चंद्र वर्मा बैंक मैनेजर के पद से सेवानिवृत्त हैं। आर्थिक रूप से संपन्न होने के बाद भी उन्होंने फेमिली प्लानिग को अपनाया।