माता ही होती है बालक की प्रथम गुरु
रामपुर आर्य समाज ज्वालानगर की ओर से रविवार को साप्ताहिक सतसंग आगापुर रोड पर विपिन कुमार वर्मा के प्रतिष्ठान पर हुआ।
रामपुर : आर्य समाज ज्वालानगर की ओर से रविवार को साप्ताहिक सतसंग आगापुर रोड पर विपिन कुमार वर्मा के प्रतिष्ठान पर हुआ। इससे पूर्व यज्ञ हुआ, जिसमें विश्व कल्याण की भावना के साथ आहुतियां दीं।
आर्य समाज के प्रधान ओमवीर सिंह वैदिक ने कहा कि कि आज-कल हमारे हिदू समाज में अनेक देवी देवता विद्यमान हैं। उनके साथ साथ परमात्मा के द्वारा बनाए हुए देवी देवता जो सजीव रूप से आप के बीच में रहते हैं वह पांच देवता कहलाते हैं। उन देवताओं में सर्वप्रथम माता का स्थान आता है क्योंकि माता ही बालक की प्रथम गुरु होती है। तत्पश्चात दूसरा स्थान पिता का आता है। पिता का स्थान आकाश के समान संरक्षण और देखभाल तथा पालन पोषण करने वाला होता है। तीसरा देवता कोई भी शिक्षा देने वाला आचार्य अथवा गुरु कहलाता है। चाहें वह किसी भी प्रकार से हम को शिक्षा प्रदान करता है। यह आयु पर निर्भर नहीं करता बल्कि ज्ञान पर निर्भर करता है। चौथा देवता अतिथि देवो भव:। अर्थात अतिथि की यथायोग्य सेवा आदर और सत्कार करना आवश्यक है पांचवा देवता पति देव भव: अथवा पत्नी देवो भव:। जो पति अपने पत्नी का आदर सत्कार करता है उसकी भावनाओं को समझ कर के चलता है और जो पत्नी अपने पति को देवता के समान समझती है उसका आदर सत्कार तथा आज्ञा का पालन करती है वह घर स्वर्ग के समान होता है। इस मौके पर राम सिंह, भारत सिंह आर्य, विपिन कुमार सिंह, दिव्या सिंह, इंदर सिंह यादव, ओमप्रकाश लोधी, सचिन वर्मा, राजवीर आर्य, गिरेंद्र सिंह आर्य, अमन सिंह आर्य, सविता यादव, बीना लोधी आदि मौजूद रहे।