रामनगर बैराज से छोड़ा 35 हजार क्यूसेक पानी, कोसी नदी उफान पर

स्वार (रामपुर) उत्तराखंड के रामनगर बैराज से 35 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से कोसी नदी उफान पर है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 10:48 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 10:48 PM (IST)
रामनगर बैराज से छोड़ा 35 हजार क्यूसेक पानी, कोसी नदी उफान पर
रामनगर बैराज से छोड़ा 35 हजार क्यूसेक पानी, कोसी नदी उफान पर

स्वार (रामपुर) : उत्तराखंड के रामनगर बैराज से 35 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से कोसी नदी उफान पर है। इससे प्रभावित गांव में जानवरों के सामने चारे का संकट उत्पन्न हो गया है। कोसी नदी का जलस्तर बढ़ता देख ग्रामीणों को बाढ़ की आशंका सताने लगी है। एसडीएम ने बाढ़ चौकियों का निरीक्षण कर कर्मचारियों को स्थिति से निपटने के निर्देश दिए हैं। उत्तराखंड के रामनगर बैराज से कोसी नदी में 35 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने पर नदी ने अपना तांडव दिखाना शुरू कर दिया है। नदी में उफान आ जाने के कारण किसान जानवरों के लिए जान जोखिम में डाल नदी पार कर चारा लाने को मजबूर हैं। ऐसे में चारे का संकट उत्पन्न हो गया है। नदी किनारे बसे फाजलपुर, जालफनगला, धनौरी, अंधापुरी, बंदरपुरा, मिलक काजी, सोनकपुर, समोदिया, रसूलपुर, फरीदपुर, खेमपुर समेत पासियापुरा में बाढ़ का खतरा है। कई गांवों में खेतों में पानी भर गया है। एसडीएम यमुनाधर चौहान ने बाढ़ चौकियों का दौरा कर तैनात कर्मचारियों को बाढ़ से निपटने के लिए निर्देश दिए हैं। एसडीएम ने बताया कि कोसी नदी में बाढ़ के मद्देनजर छह चौकियां स्थापित कर कर्मचारियों को तैनात किया है। अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं।

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कोसी नदी में उफान आने पर जानवरों का चारा पूरी तरह से नष्ट हो जाता है। किसानों को जान जोखिम में डालकर नदी पार से चारा लाना पड़ता है। नदी में उफान देख किसानों को बाढ़ की चिता सताने लगी है।

अकबर अली। करोड़ों रुपये की लागत से बना बांध कई जगह से क्षतिग्रस्त पड़ा है। सिचाई विभाग के आला अफसरों द्वारा बांध की मरम्मत तक नही कराई गई है। ऐसा लगता है कि विभाग नदी में बाढ़ आने का इंतजार कर रहा है।

कुरबान अली। नदी किनारे गन्ने की फसलों में पानी भर गया है। किसान काफी परेशान हैं और बाढ़ न आने की दुआ मांग रहे हैं। क्योंकि कोसी नदी किनारे किसानों की मेहनत की फसल लगी है जो नष्ट हो सकती है।

हीरालाल। करोड़ों रुपये की लागत से बने बांध पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। क्योंकि पत्थरों के स्पर व बेरीकेडिग पानी के बहाव में बह गए हैं। बांध की मरम्मत के नाम पर विभाग द्वारा खानापूर्ति की जाती है।

नूर हसन। रामगंगा और कोसी का जलस्तर बढ़ा

शाहबाद : पहाड़ों पर हुई बारिश से रामगंगा एवं कोसी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। इससे नदी के किनारे बसे ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है। शनिवार को एसडीएम ने कई गांव का भ्रमण कर ग्रामीणों को सतर्क रहने को कहा है।

रामगंगा एवं कोसी नदी का जलस्तर बढ़ जाने से नदी किनारे बसे चंडिका मदारपुर, सूपा, मथुरापुर, विचपुरी, घोसीपुरा, घनश्यामपुर, रेवड़ी कला, असालतपुर समेत दर्जनों गांव के किसानों की चिता बढ़ गई है। इन ग्रामों में रहने वाले ज्यादातर किसानों की खेती नदी के दूसरी ओर हैं। जलस्तर बढ़ने के कारण अब किसान नदी पार अपनी खेती नहीं देख पा रहे हैं। वहीं पशुओं के चारे का भी संकट गहरा गया है। शनिवार सुबह एसडीएम राकेश कुमार गुप्ता ने रामगंगा एवं कोसी नदी के किनारे बसे कई गांव का निरीक्षण किया। रामगंगा और कोसी में बढ़े जलस्तर को देखकर ग्रामीणों को सतर्क रहने को कहा। उन्होंने चंडिका मदारपुर, घोसीपुरा आदि नदी किनारे बसे गांव का भ्रमण कर जायजा भी लिया। गांव के लेखपालों को निर्देश दिए कि समय-समय पर बाढ़ के हालत को लेकर सूचित करें। साथ ही लेखपालों व ग्रामीणों से कहा गया है कि नदियों के बढ़ते जलस्तर में कोई भी ग्रामीण नदी पार न जाए। उपजिलाधिकारी राकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि अभी जलस्तर ज्यादा नहीं बढ़ा है। उन्होंने बाढ़ चौकी रेबड़ी कला, पटवाई एवं नगर चोकियों का निरीक्षण कर उन्हे एलर्ट कर दिया है। किसानों के मुरझा गए चेहरे

दढि़याल : लगातार बारिश से कोसी नदी में जलस्तर बढ़ने लगा। कोसी नदी किनारे लगी पालेज टमाटर, तरबूज, खरबूजा, लौकी, तोरई एवं खीरा आदि फसलें जलमग्न हो गईं। इससे किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं।

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