यूरिया के लिए साधन सहकारी समितियों पर उमड़ रही भीड़
जागरण संवाददाता मिलक साधन सहकारी समितियों के बाहर यूरिया खाद खरीदने के लिए क्षेत्र क
जागरण संवाददाता, मिलक : साधन सहकारी समितियों के बाहर यूरिया खाद खरीदने के लिए क्षेत्र के किसानों की रोजाना भीड़ उमड़ रही है। किसान दिन निकलते ही साधन सहकारी समितियों के बाहर लाइनों में लग जाते हैं। घंटों तक लाइन में लगने के बावजूद उन्हें पर्याप्त मात्रा में यूरिया खाद नहीं मिल पा रहा। इस पर कुछ किसान साधन सहकारी समितियों पर यूरिया खाद की कालाबाजारी करने का आरोप लगा रहे हैं। पर्याप्त मात्रा में यूरिया न मिलने से किसान अपनी फसलों को लेकर चितित हैं।
किसानों का कहना है कि उनके खेत में धान की फसल खड़ी हुई है। इसमें यूरिया खाद को लगाना बहुत जरूरी है। किसान अपने क्षेत्र में स्थित साधन सहकारी समितियों से सरकारी दरों पर यूरिया खाद खरीदते हैं, लेकिन वर्तमान में इन समितियों पर यूरिया खाद की किल्लत चल रही है। समितियों पर यूरिया खाद लेने के लिए लोगों की सुबह से ही लाइनें लग जाती हैं। ऐसे में कुछ किसानों को खाद मिल तो जाती है मगर काफी कम। कुछ किसानों को तो घंटों लाइन में लगने के बाद भी खाद नहीं मिलती।
शुक्रवार को रठौंडा स्थित साधन सहकारी समिति पर खाद लेने के लिए किसानों की भीड़ उमड़ी। खाद पाने की चाहत में लाइनों में लगे किसानों ने शारीरिक दूरी का पालन तक नहीं किया। सभी किसान एक-दूसरे से सटकर खड़े थे। किसान कोरोना महामारी के दौर में भी यूरिया के लिए अपनी जान को जोखिम में डालकर भीड़ के रूप में समितियों पर एकत्र हो रहे हैं। कुछ किसान मास्क और शरीरिक दूरी तक का पालन नहीं कर रहे। इससे उनको और उनके परिवार वालों की जान को भी खतरा पैदा हो रहा है।
रठौंडा स्थित साधन सहकारी समिति पर मौजूद किसानों ने बताया कि खेतों में धान की फसल लगाने के लिए साहूकार और बैंकों से लाखों का कर्जा लिया हुआ है। खाद न मिलने के कारण फसल बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गई है। अगर, फसल बर्बाद हो गई तो उनके आगे भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। कोरोना बीमारी से शायद वह बच जाएं, लेकिन अगर उन्हें खाद नहीं मिली और फसल खराब हो गई तो भूख और कर्जे के कारण वह और उनका परिवार अवश्य मर जाएगा। किसानों को कोरोना से इतना डर नहीं लग रहा जितना कि खाद न मिलने से धान की फसल बर्बाद होने का डर उनके अंदर बैठा हुआ है।