कोरोना से जीतना है तो पहले डर को हराएं

आशावादी सोच ने नकारात्मक विचारों को हरा दिया। लगने लगा कि अब कोरोना को हराकर जल्द ही अपने परिवार के पास जा सकता हूं और दोबारा अपने मरीजों की सेवा कर सकता हूं। इस पाजिटिव सोच ने मेरे अंदर नई ऊर्जा का संचार किया और कुछ दिन बाद मेरी रिपोर्ट निगेटिव आ गई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 11:02 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 11:02 PM (IST)
कोरोना से जीतना है तो पहले डर को हराएं
कोरोना से जीतना है तो पहले डर को हराएं

रामपुर, जेएनएन : कोरोना से जंग जीत चुके शहर के मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ डा. आलोक सिघल का कहना है कि इस वायरस से जंग जीतने के लिए पहले अपने डर को हराना होगा। आशावादी सोच के साथ इसका मुकाबला करना होगा। तब निश्चित ही आपकी जीत होगी। कोरोना संक्रमण के दौरान अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि वह पिछले साल सितंबर 2020 में कोरोना संक्रमित हो गए थे। करीब दो सप्ताह तक घर में आइसोलेट रहे, लेकिन बाद में तबीयत खराब होने लगी। आक्सीजन लेवल गिरने लगा तो बेहतर उपचार के लिए मेदांता हास्पिटल में भर्ती हो गए। पहले दिन बहुत डर लगा। नकारात्मक विचार आने लगे। खाना नहीं खाया गया। रात को नींद भी नहीं आई लेकिन, इलाज से अगले दिन सेहत में सुधार होने लगा। इसके साथ ही ठीक होने की उम्मीद भी जागने लगी। आशावादी सोच ने नकारात्मक विचारों को हरा दिया। लगने लगा कि अब कोरोना को हराकर जल्द ही अपने परिवार के पास जा सकता हूं और दोबारा अपने मरीजों की सेवा कर सकता हूं। इस पाजिटिव सोच ने मेरे अंदर नई ऊर्जा का संचार किया और कुछ दिन बाद मेरी रिपोर्ट निगेटिव आ गई। छह दिन बाद ही कोरोना को हराकर घर वापस लौट आया। कोरोना संक्रमितों से अपील करता हूं कि वे कोरोना से डरे नहीं, बल्कि उससे लड़ें। गाइडलाइन का पालन करते हुए अपनी सोच को आशावादी रखें। आशावादी सोच हमें किसी भी बीमारी से लड़ने की ताकत देती है। कोरोना को मजाक में लेने वालों को भी हिदायत है कि वे ऐसा न करें। ऐसा करके वह बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। बीमारी कोई भी हो, उससे लड़ने के लिए शरीर का स्वस्थ होना जरूरी है। शरीर स्वस्थ रखने के पोषक भोजन के साथ ही योग भी करें।

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