पहले सूखे ने दिए जख्म, अब बारिश ने तोड़ी किसानों की कमर

मिलक : कुछ महीने पहले जनपद में सूखा पड़ने के हालात पैदा होने पर किसानों ने महंगे डीजल

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 10:37 PM (IST) Updated:Tue, 25 Sep 2018 10:37 PM (IST)
पहले सूखे ने दिए जख्म, अब बारिश ने तोड़ी किसानों की कमर
पहले सूखे ने दिए जख्म, अब बारिश ने तोड़ी किसानों की कमर

मिलक : कुछ महीने पहले जनपद में सूखा पड़ने के हालात पैदा होने पर किसानों ने महंगे डीजल से अपनी फसलों की ¨सचाई की। कर्जा आदि लेकर पं¨पगसेट से खेत में पानी लगाकर अपनी फसलों को सूखने से बचाया था। अब फसल पककर तैयार हुई तो बरसात ने उसे तबाह कर दिया। खेत आदि को गिरवीं रखकर किसानों ने खेतों में बड़े जतन से फसलें बोई थीं। किसानों पर जो बारिश आफत बनकर टूटी है।उसके कारण किसान फिर कर्ज तले दबने को मजबूर हो गए हैं। खेत में खड़ी धान की फसल बारिश और तेज हवाओं से धराशायी होकर नष्ट हो गई है। फसल बेचकर कर्ज चुकाने की आस को बारिश ने खेत में फसल के साथ पानी में डुबो दिया। अब किसान सरकार की ओर टकटकी लगाकर देख रहे हैं। उन्हें सरकार से उम्मीद है कि वह उनके बुरे वक्त में साथ देगी और खेत में जो फसल नष्ट हुई है उसका मुआवजा देकर उन्हें इस भंवर से बाहर निकालेगी। खून पसीने से खेतों में लहलहा रही धान की फसल देख किसानों ने भविष्य के सपने बुनने शुरू कर दिए। अब तीन दिन लगातार हुई बारिश ने किसानों के सपनों पर पानी फेर दिया। तेज हवाओं और बारिश ने फसल को नष्ट कर दिया। तीन दिनों तक झमाझम बारिश हुई। नतीजा यह हुआ कि खेतों में खड़ा गन्ना और धान खेत में गिर गया। किसानों को अब ¨चता सताने लगी है कि धान में कालापन आ जाएगा, जिससे उसकी कीमत घट जाएगी। यही स्थिति गन्ने की भी है, क्योंकि जमीन पर गिरने के बाद उसमें कीट लगने की आशंका बढ़ जाती है। किसानों ने बैकों और साहूकारों के यहां से ब्याज पर रकम लेकर फसलें उगाई थीं। अब फसल का मूल्य पहले की तुलना में कम मिलने पर कर्ज चुकाने और परिवार का पालन पोषण करने को लेकर किसान दिन रात सदमे में हैं। बारिश से केवल धान और गन्ने की फसल को ही नुकसान पहुंचा हो। बेमौसम बारिश की मार से खेतों में सब्जियां उगाकर जीवनयापन करने वाले छोटे किसानों के परिवार भुखमरी के कगार पर आ गए हैं। लतावर्गीय फसलें जैसे लौकी, तोरई, सेम की फली आदि में पानी भरने की वजह से उनकी फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। मिलक तहसील के खमरिया, पीपलसाना, सैंडोली, ज्योहरा, अकौंदा, खाता ¨चतामन, सिहारी, रठौंडा, दुलीचंदपुर, भंवरकी, ऐमी, हुरमतनगर, सिमरा, हरदुआ, मुझायना, देवरी बुर्जग, कपनेरी, कल्याणपुर, हरदासपुर, सिलईबड़ागांव, केवलपुर, मैनी, परम, पुरनापुर, रजपुरा, गुलड़िया भाट, सिमरा, डंडिया, रास, ¨सगरा, बराखास आदि सहित सैकड़ौं गांवों खेतों की फसलों की हालत बदतर है।

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