चेले भी हो गए गदगद

पिछले साल सीएए को लेकर हुए बवाल में उन्हें वर्दी वालों ने पकड़कर जेल भेज दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 11:04 PM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 11:04 PM (IST)
चेले भी हो गए गदगद
चेले भी हो गए गदगद

मुस्लेमीन, रामपुर: कोसी नदी पर लालपुर पुल लंबे समय से बड़ी समस्या बना है। नवाबी दौर में बना पुल जर्जर हो गया, जिसे नया पुल बनने से पहले ही सपा शासनकाल में तोड़ दिया गया था। नए पुल की मंजूरी के बाद काम भी शुरू हो गया, लेकिन सूबे का निजाम बदलने पर यह काम बंद हो गया। इससे लाखों लोगों के सामने समस्या आ गई। तमाम नेताओं ने पुल निर्माण कराने के लिए प्रयास किया। रामपुरी खां साहब ने तो नदी के अंदर ही मानव श्रृंखला बना दी थी। दूसरे विपक्षी नेता और सत्ता पक्ष के नेता भी कोशिश में लगे थे। जिले के हाकिम भी लगातार चिट्ठी पत्री लिखते रहे। लेकिन, सत्ताधारी पार्टी के जिलाध्यक्ष ने ऐसी चिट्ठी लिखी कि तीसरे दिन ही डिप्टी सीएम खुद पुल पर पहुंच गए और अधूरे पुल का दोबारा काम शुरू करा दिया। अध्यक्ष को जो अहमियत मिली है उससे उनके चेले बड़े गदगद हैं। नहीं आ सकीं मैडम

कोसी नदी पर लालपुर पुल बनवाने के लिए फिल्मी मैडम ने भी काफी प्रयास किए। लोगों की समस्या को जानने के लिए खुद नदी पर गईं और कई बार सीएम और डिप्टी सीएम को चिट्ठी पत्री लिखी। लेकिन, पुल के दोबारा कार्य शुरू होने के मौके पर मैडम को बुलावा नहीं दिया गया, जबकि मैडम यहां से 10 साल सांसद रही हैं और पिछले इलेक्शन में उनका चुनाव निशान भी कमल का फूल था। सरकारी पार्टी का कार्यक्रम होने के बाद भी उन्हें बुलावा नहीं दिया गया। यह बात उनके समर्थकों को खल रही है। इसके लिए पार्टी नेताओं पर आरोप भी लगा रहे हैं। कह रहे उन्हें बुलाया जाना चाहिए था। हालांकि इस सबके बावजूद मैडम ने पुल का निर्माण दोबारा शुरू होने पर डिप्टी सीएम का शुक्रिया अदा किया है। साथ ही उम्मीद जताई है कि निर्माण कार्य शीघ्र ही पूरा हो जाएगा और लाखों लोगों की समस्या दूर हो जाएगी। अपने ही हो रहे बेगाने

नवाबों के शहर में रामपुरी खान साहब का लंबे समय तक दबदबा रहा है। इस शहर के वह नौ बार एमएलए और चार बार सूबे की सरकार में भारी भरकम मंत्री रहे। वह सत्ता में रहे या सत्ता से बाहर। लेकिन, उनके आगे पीछे हमेशा समर्थकों की भीड़ लगी रही। अब खां साहब सात माह से अपनी बेगम और साहबजादे के साथ जेल में हैं। उनके जेल जाने के बाद से ही उनके समर्थकों में भी बेचैनी है। उनके कई अपने तो बेगाने हो गए हैं। खां साहब का दामन छोड़कर दूसरी पार्टियों में शामिल हो रहे हैं। सभासद भी उनका साथ छोड़ रहे हैं। एक सभासद तो उनके लिए अफसरों के हाथ काटने की धमकी देते थे । लेकिन, अब दूसरी पार्टी में चले गए। इसके बाद भी कानूनी शिकंजे से बच नहीं सके। पिछले साल सीएए को लेकर हुए बवाल में उन्हें वर्दी वालों ने पकड़कर जेल भेज दिया है। अब मददगार भी मुसीबत में रामपुरी खां साहब की मुसीबतें कम होने के बजाय और बढ़ती जा रही हैं। पहले उनके और करीबियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए। इसके बाद उनके परिवार के लोग भी मुकदमों में फंसते चले गए। भाई बहन और बेटों पर भी मुकदमे दर्ज हो गए। अब उनके मददगार भी मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं। ये ऐसे मददगार हैं जो उनकी यूनिवर्सिटी के लिए माली मदद करते रहे हैं। चंदे के रूप में मोटी रकम देते रहे हैं। अब ईडी इन सबकी जायदाद के बारे में जांच पड़ताल कर रही है। पता लगा रही है कि यह जायदाद उनके पास कहां से आई है। उन्हें चंदे के रूप में किसने कितनी बड़ी रकम दी है और चंदा देने वाले की हैसियत क्या है। उसकी आमदनी का जरिया क्या है। इससे खां साहब की माली मदद करने वाले बेचैन हैं। उन्हें कानून के शिकंजे में फंसने का डर सता रहा है।

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