जलदूत बन सई का उद्धार कर रहे ÞरामविलासÞ
रायबरेली : जिले से होकर गुजरी सई नदी कभी किसानों के लिए वरदान होती थी। ¨सचाई का प्रमुख
रायबरेली : जिले से होकर गुजरी सई नदी कभी किसानों के लिए वरदान होती थी। ¨सचाई का प्रमुख साधन थी। लोगों की कई जरूरतें पूरी करती थी। आस्तिक देव मंदिर के पास तो इसके पानी को गंगाजल के समान महत्व मिलता है। हर साल यहां पर लोग स्नान करने के बाद पूजा अर्चना करते हैं। समय बदला, तो इसके अस्तित्व पर संकट गहराने लगा। रामविलास से सई की यह दशा देखी न गई। उसने अपने जैसे ही युवाओं को साथ लिया। अब यह टोली सई को पुराने रूप म ं लाने के प्रयास में जुट गई है। इनसेट
नदी की दशा देख विचलित हो उठा मन
शहर के विष्णुनगर के रहने वाले रामविलास कहते है कि अकसर मैं मुंशीगंज शहीद स्मारक आता हूं। कई बार पुल पर खड़े होकर नदी को देखा। घटते जल स्तर और पानी में फेंके जाने वाले पूजन सामग्री, गंदे नाले को गिरता देखा तो मन विचलित हो गया। तब विचार आया कि काश हम इस सई नद '' को बचाने की कोई पहल कर सकें। बस इसी बात को आधार बनाते हुए नदी को बचाने का संकल्प लिया। 715 किमी की दूरी तय कर रही नदी
हरदोई जनपद के भिजवान झील से निकलने वाली सईं नदी उन्नाव, लखनऊ, रायबरेली, प्रतापगढ़ जनपद से गुजरते हुए लगभग 715 किमी की दूरी तय करते हुए जौनपुर के राजघाट पर गोमती नदी में मिल जाती है। संकल्प के साथ शुरू की सई नदी बचाओ अभियान
अस्तित्व से जूझ रही नदी को बचाने के लिए 25 मई 2018 को सई नदी बचाओ अभियान शुरू किया। अपने इस संकल्प को दृढ़ता प्रदान करने के लिए साथियों के साथ सई नदी के तट पर खड़े होकर स्वच्छ और संरक्षित करने की शपथ ली। इसके बाद योजना बद्ध तरीके से विभिन्न चरणों में कार्य योजना तैयार की गई हस्ताक्षर अभियान में जुड़े 10 हजार लोग
शुरुआत हस्तारक्षर अभियान से हुई। इसमें 10 हजार से ज्यादा लोग जुड़े। प्रचार प्रसार कर लोगों को जागरूक किया। अपनी कार्य योजना धरातल पर उतारने के लिए पूरी टीम ने शहीद स्मारक के आस-पास पड़ी हुई गंदगी व जलकुंभी को हटाने का निर्णय लिया। कार्य शुरू किया तो और लोग भी जुड़ते गए। आरटीआइ से मांगी सूचना
रामविलास ने आम जनमानस को जागरूक करने के उदेश्य से सई नदी को बचाने संबंधी नारे, पें¨टग लिखे। हस्ताक्षरों के साथ सई नदी को बचाने के लिए एक चिट्ठी राष्ट्रपति, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को भेजी। इतना ही नहीं आरटीआइ के जरिये सूचना भी जुटाई। जिससे पता चला कि शहर के सारे गंदे नाले इसी सईं नदी में गिराए जा रहे हैं। कहते हैं कि यह अभियान नदी को अपने मूल स्वरूप में लाकर ही थमेगा।