वाहन खाते हिचकोले, खतरे के बीच कटता 36 किमी सफर
--टोल टैक्स देने के बावजूद सुरक्षित सफर सपना -लखनऊ-प्रयागराज हाईवे पर सैकड़ों गड्ढे बने खतरे का सबब
रायबरेली : लखनऊ-प्रयागराज हाईवे पग-पग पर जख्मी है। कहीं एक परत गिट्टियां निकल चुकी हैं तो कहीं जानलेवा गड्ढे बने हैं। वाहन हिचकोले खाते हैं और हादसे का खतरा भी बना रहता है। जरा सी चूक होने पर जान का जोखिम तय है। इसी आशंका में जिला मुख्यालय से लेकर बछरावां बार्डर तक 36 किमी का सफर कटता है। यह हाल तब है, जब फोरलेन पर सुगम आवागमन के लिए वाहन स्वामी टोल टैक्स अदा कर रहे। लखनऊ-प्रयागराज हाईवे पर टोल प्लाजा से जिला मुख्यालय की दूरी करीब 36 किमी की है। प्रतिदिन करीब 50 हजार वाहनों का आवागमन होता है। शहर के अंदर सिविल लाइंस से मोटल चौराहा की दूरी एक किमी भी नहीं हैं। इतने में ही दोनों पटरियों पर करीब सौ गड्ढे मिल जाएंगे, जो जानलेवा भी हैं। स्थिति तो तब खराब होती है, जब हाईवे पर चलने वाले वाहन गड्ढों से बचाने की कोशिश में नियंत्रित नहीं हो पाते। खानापूर्ति के लिए इन गड्ढों पर पैचिग तो करा दी जाती है, लेकिन कुछ दिनों में फिर से नया गड्ढा तैयार हो जाता है।
हरचंदपुर : डेयरी से लेकर दतौली तक वाहन चालकों के लिए हाईवे पर चलना खतरे से खाली नहीं है। छतैया गांव के निकट हाईवे पर करीब 50 गहरे गड्ढे बने हैं। छतैया पुल के पास भी 220 मीटर की दूरी में एक लेन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है। डेडौली, पूरे नैकानी, टांडा, शोरा, गंगागंज समेत कई ऐसे स्थान हैं, जहां गड्ढों की भरमार है। कठवारा पुल के निकट बने गड्ढे में मिट्टी भरकर काम चलाया जा रहा है, जो कभी बड़े हादसे का सबब बन सकता है।
बछरावां : ओवरब्रिज और टोडरपुर, हसनगंज, नीमटीकर, सरौरा, चुरुवा तक पूरा मार्ग बदहाल है। कई जगह गिट्टियां उखड़कर सड़क पर बिखरी हैं। इससे दो पहिया वाहन फिसलकर गिरते हैं। आएदिन कोई न कोई घायल होता है।
लखनऊ से रायबरेली तक हाईवे का नवीनीकरण होना है। संभवत: 10 अक्टूबर तक इसका काम शुरू हो जाएगा। इसके बाद आवागमन सुगम हो जाएगा।
एन गिरि, परियोजना निदेशक एनएचएआइ