हाईवे पर रफ्तार बनी काल, खून से सड़कें हो रहीं लाल
लखनऊ-प्रयागराज हाईवे पर ही 28 दिन में हुई 17 घटनाएं 10 मुसाफिर घायल हुए तो आठ को गंवानी पड़ी अपनी जान
रायबरेली : लखनऊ-प्रयागराज हाईवे की सड़क हर दूसरे दिन खून से लाल हो रही है। बीते 28 दिन के अंदर ही 17 हादसे हुए। इनका शिकार हुए 10 लोग खुशकिस्मत निकले। कई दिन इलाज जरूर चला, लेकिन डॉक्टरों ने किसी तरह जान बचा ली। जबकि आठ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
यह आंकड़ा सिर्फ एक हाईवे का है। वह भी बछरावां स्थित टोल प्लाजा से लेकर ऊंचाहार में जिले की सीमा तक। इसके अलावा रायबरेली से ही जौनपुर, बांदा, टांडा और फैजाबाद हाईवे भी निकलते हैं। इनमें हुए हादसों को जोड़ लिया जाए तो घायलों की संख्या एक सैकड़ा पार कर जाएगी। मृतकों की संख्या भी दो दर्जन से अधिक होगी। इनमें कुछ घटनाएं कोहरे के कारण भी हुईं। जबकि अन्य सड़क हादसों के पीछे वाहनों की रफ्तार सबसे बड़ी वजह रही। शायद ही ऐसा कोई दिन हो, जब ऐसी खबरें न आए। अन्यथा छिटपुट घटनाएं तो रोज ही होती रहती है। एनएचएआइ हो, परिवहन विभाग हो या पुलिस महकमा। कोई भी इसे लेकर गंभीर नहीं।
यहां तो कागजों का भरा जा रहा पेट
बीते दिनों यातायात माह में इन हादसों पर अंकुश लगाने की कवायद शुरू हुई थी। 90 से अधिक ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए। अलग-अलग विभागों को जिम्मेदारी बांटी गई। कुछ दिन अफसरों ने दौड़भाग की। इसके बाद सब कुछ ठंडे बस्ते में चला गया। न कहीं संकेतक लगे और न हादसे कम हुए।
इनकी भी सुनें
हादसों को रोकने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। ब्लैक स्पॉट पर रेड टेप और सफेद पट्टी लगवाई जा रही है। शहर में दुर्घटना बाहुल्य स्थानों पर ब्रेकर बनवाने के लिए पत्राचार किया गया। नशे में वाहन चलाने वालों पर शिकंजा कसने के लिए रात में चेकिग कराई जा रही है।
अंजनी चतुर्वेदी
क्षेत्राधिकारी, यातायात