क्रिकेटर आरपी सिंह के पिता की कर्मभूमि रही रायबरेली
- आइटीआइ में मिला रोजगार तो बेटे को क्रिकेट की बुलंदियों पर पहुंचाने का सपना हुआ साकार
रायबरेली : बाराबंकी से रोजगार की तलाश में आए क्रिकेटर आरपी सिंह के पिता शिव प्रसाद सिंह का रायबरेली से गहरा नाता था। यहां पर उनका हर सपना साकार हुआ। आइटीआइ में नौकरी मिलने के बाद उन्होंने यहां इंदिरानगर में खुद का मकान बनवाया। यहीं जन्मे पुत्र आरपी सिंह ने क्रिकेट की बुलंदियों को छुआ। वर्ष 2005 में बेटे का भारतीय क्रिकेट टीम में चयन हुआ तो साधारण परिवार रातोंरात देशभर में खास बन गया। कोरोना से एसपी सिंह के निधन से आज पूरा जिला स्तब्ध है। उनका परिवार भले ही अब यहां नहीं रहता, लेकिन कभी उनके सुख-दुख के साथी रहे आइटीआइ कर्मी से लेकर आस-पड़ोस के लोग सौम्य और सरल स्वभाव को याद करके भावुक हो गए। आइटीआइ के बीपी सिंह ने बताया कि पैतृक गांव बाराबंकी जिले के पूरे बल्ला गांव में एसपी सिंह का अंतिम संस्कार हुआ।
प्रशिक्षक मो. अयाज के कहने पर आरपी को बढ़ाया आगे
मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में प्रशिक्षक रह चुके मो. अयाज काफी भावुक होकर कहते हैं कि आरपी सिंह के पिता का स्वभाव बहुत ही सरल था। मेरे कहने पर ही प्रशिक्षण के लिए वे बेटे को स्टेडियम भेजते थे। 1994 से 2000 तक स्टेडियम में प्रशिक्षण दिया।
करीब आठ साल से लखनऊ में रह रहा परिवार
करीब आठ साल से क्रिकेटर आरपी सिंह का पूरा परिवार लखनऊ में रह रहा है। आस-पड़ोस के लोगों का कहना है कि पहले कभी-कभार आ भी जाते थे। करीब दो साल से नहीं आए।
पहले अभयदाता के दर्शन, फिर करते कोई नया काम
शिव प्रसाद सिंह की भवानी पेपर मिल स्थित अभयदाता मंदिर के प्रति विशेष आस्था थी। बेटे का इंडिया टीम में चयन हुआ तो यहां पर पूजा-अर्चना की थी। मंदिर के पुजारी ओम प्रकाश मिश्र बताते हैं कि पूरे परिवार की आस्था मंदिर से जुड़ी है। गत वर्ष नवंबर में आए भी थे। कोई भी नया कार्य करना होता था तो एसपी सिंह अभयदाता के दर्शन करने जरूर आते थे।