मुफ्त के राशन से भूख मिटा रहे प्रधान और प्रमुख
- पंचायत चुनाव में लाखों रुपये खर्च करने वाले नहीं छोड़ पा रहे सरकारी राशन का मोह जिम्मेदार खामोश
रायबरेली : चुनाव में जीत के लिए सबकुछ दांव पर लगा दिया। लाखों रुपये पानी की तरह बहाया। इसमें कुछ सफल हुए तो कइयों को शिकस्त मिली। चुनाव जीतकर जिला पंचायत सदस्य, ब्लाक प्रमुख और प्रधान बने। ये पंचायत प्रतिनिधि सरकारी राशन का मोह नहीं छोड़ रहे। यह बात दीगर है कि इनके हस्ताक्षर मात्र से गांवों में विकास की गंगा बहने लगी है। लाखों के बिलों पर अंतिम मुहर लगाते हैं। हकीकत पूर्ति विभाग के अफसर भी जानते हैं, लेकिन कार्रवाई के बजाय मुंह फेर लेते हैं। इनकी नींद तब टूटती है, जब गांव का विपक्षी शिकायत करता है।
यहां तो प्रधानों के बने कार्ड, पूरा परिवार उठा रहा खाद्यान्न
रोहनिया ब्लाक में कई ऐसे पंचायत प्रतिनिधि हैं, जिनके कंधे पर गांव के विकास की जिम्मेदारी है। सरकार की योजनाओं का लाभ पात्रों तक पहुंचाना इनका कर्तव्य है। वहीं, खुद गरीब बनकर परिवारजन के साथ निश्शुल्क अनाज उठा रहे हैं। इसमें रोहनियां प्रधान पप्पू यादव, मवई की फूलकली, परसीपुर की किरन देवी, रायपुर की प्रधान अनीता समेत कई क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत सदस्य भी हैं।
प्रमुख का ताज, फिर भी ले रहीं गरीबों का अनाज
पंचायत चुनाव में सिर पर ब्लाक प्रमुख का ताज सजा। करोड़ों के विकास कार्य इन्हीं के आदेश से होंगे। इसके बावजूद इन्हें गरीबों के लिए आने वाला अनाज लेना पड़ रहा है। बात हो रही है छतोह ब्लाक प्रमुख संगीता की। इनके नाम पात्र गृहस्थी योजना के तहत कार्ड बना है। इस कारण हर महीने मुफ्त का राशन भी मिल रहा। हालांकि, इनका कहना है कि गरीब होने के कारण कार्ड बना था।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों पर एक नजर
988- ग्राम पंचायत
1145 - सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान
559257 - कार्डधारक
101913 - अंत्योदय कार्ड
41884 - नगरीय क्षेत्र में कार्ड
3231 - नगरीय क्षेत्र में अंत्योदय कार्ड
17684 - त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बने थे उम्मीदवार
वर्जन
व्यक्ति के आर्थिक स्थिति के आधार पर पात्रता का चयन किया जाता है। ब्लाक प्रमुख, प्रधान, जिला पंचायत सदस्य यदि पात्रता की श्रेणी में हैं तो कार्ड बनाया जाता है। वहीं, गलत दस्तावेज के सहारे किसी का कार्ड बना है तो शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
विमल शुक्ल, जिला पूर्ति अधिकारी