साहब! खाली लकड़ी से कैसे जली चिता..
रायबरेली साहब! खाली लकड़ी से कहां चिता जली अउरौ खर्चा लागी। सामान मंगवाये का परी। कम से क
रायबरेली: साहब! खाली लकड़ी से कहां चिता जली, अउरौ खर्चा लागी। सामान मंगवाये का परी। कम से कम आठ हजार रुपयईया खर्च होई। यहिते नीक है लाश गड़वा दियो। यह बात नानी का शव लेकर गए व्यक्ति ने उस समय लगभग गिड़गिड़ाते हुए कही जब अफसर गंगा नदी के किनारे दफनाए गए शव की पड़ताल करने पहुंचे। काफी कोशिश के बाद भी वह नहीं माना।
शनिवार को गेंगासो श्मशान घाट पर भारी संख्या में शव दफनाए जाने की सूचना पर एसडीएम विनय मिश्र अधिकारियों के साथ पहुंचे। इसी दौरान पता चला कि एक व्यक्ति शव को गाड़ना चाहता है। एसडीएम उसके पास पहुंचकर रोकने लगे। गोपालपुर मजरे मदुरी निवासी व्यक्ति कहने लगा कि वह ननिहाल में रहता है। लगभग 70 वर्षीय नानी का निधन हुआ है। ईंट भट्ठे पर मजदूरी करके किसी तरह परिवार चलाता है। आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह शव का दाह संस्कार कर सके। इस पर एसडीएम ने उसे लकड़ी उपलब्ध कराने की बात कही। इसके बाद भी उसने इंकार कर दिया। कहने लगा कि घी, चीनी, चंदन आदि भी लगता है। इसके बाद अंतिम संस्कार कराने वाले पंडा व जमादार को भी कुछ देना पड़ेगा, जो उसके पास नहीं है। प्रशासन उसे चिता लगाने के लिए मनाते रहे, लेकिन उसने आर्थिक कारणों का हवाला देते हुए इंकार कर दिया। बाद में उसने बालू में गड्ढा खोदवाकर शव को रीतिरिवाज से दफन कर दिया। इनसेट
पंडा बोले, नहीं प्रवाहित किए जाते गंगा में शव
शव को गंगा में प्रवाहित किए जाने पर पूरी तरह से रोक है। पंडा बताते हैं कि पहले परंपरा के अनुसार शव जलाने, गाड़ने व गंगा में प्रवाहित किया जाता था। नमामि गंगे योजना के बाद से शवों का प्रवाहित करना बिल्कुल बंद करा दिया गया है। अब केवल शव जलाए या फिर गाड़े जाते हैं। इतना ही नहीं गंगा नदी मुख्य तट से पीछे हटने के कारण शव जलाने के बाद प्रवाहित की गई पिडियां रेत में इधर-उधर पड़ी हुई हैं। इनकी सुनें
किसी को भी गंगा में शव प्रवाहित नहीं करने दिया जाएगा। अंतिम संस्कार में आर्थिक समस्या को आड़े नही आने दिया जाएगा। कुछ कारणों से शव गाड़ने वालों की परंपरा को बदला नहीं जा सकता।
विनय मिश्र, उपजिलाधिकारी