गरीबों के आधारकार्ड पर बेचा करोड़ों का अनाज

रायबरेली अब आपका आधारकार्ड भी सुरक्षित नहीं है। बिचौलियों ने कुछ ऐसा ही कर दिया जि

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 09:53 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 09:53 PM (IST)
गरीबों के आधारकार्ड पर बेचा करोड़ों का अनाज
गरीबों के आधारकार्ड पर बेचा करोड़ों का अनाज

रायबरेली : अब आपका आधारकार्ड भी सुरक्षित नहीं है। बिचौलियों ने कुछ ऐसा ही कर दिया, जिससे यह संशय उत्पन्न हुआ। गलत तरीके से गरीबों के आधार को फीड कराकर करोड़ों का अनाज बेच दिया। केंद्रों पर कर्मियों की साठगांठ ऐसी की किसी को भनक तक नहीं लगी। इसमें कई ऐसे लोगों के आधार लगे हैं, जिनके पास खेती ही नहीं है। वहीं, कुछ के पास है तो नाममात्र। पैदावार इतनी होती है कि पूरे साल बमुश्किल परिवारजन की भूख मिट जाए। इसके बावजूद लाखों रुपये का अनाज सरकारी खरीद केंद्रों पर बेचने का मामला प्रकाश में आया है। अब पोल खुली तो अफसर भी अचंभित हैं। हालांकि, बड़े पैमाने पर हुए खेल से खरीद केंद्रों पर गड़बड़ी की हकीकत सबके सामने आ गई है। इनसेट

पूर्ति विभाग की जांच रिपोर्ट से हुआ राजफाश

सरकारी खरीद केंद्रों पर गड़बड़ी का राजफाश पूर्ति विभाग की जांच रिपोर्ट से हुआ। यहां पर शासन से 821 राशनकार्डधारकों के नाम भेजे गए। इनकी पात्रता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए तीन लाख से अधिक का अनाज केंद्रों पर बेचना दर्शाया गया। जांच में 747 अपात्र मिले। वहीं, 74 कार्डधारक पात्र पाए गए। इनकी आर्थिक दशा बेहद खराब मिली। छोटे काश्तकार तो कोई मजदूरी करके जीवनयापन करता मिला। इन सबके बावजूद इनके आधार पर तीन लाख से अधिक का अनाज बेचना दिखाया गया। ऐसे में साफ पता चल रहा है कि आधार का कहीं न कहीं गलत प्रयोग किया गया। डीएसओ विमल शुक्ल ने सत्यापन रिपोर्ट भेजे जाने की पुष्टि की है।

खेती है नहीं तो कैसे बेचा अनाज

सलोन देहात की रहने वाली पुष्पा गुप्ता के पास पक्का घर तो है, लेकिन कृषि के लिए भूमि नहीं है। इसके बावजूद इनके नाम पर तीन लाख से अधिक का अनाज सरकारी खरीद केंद्र पर बेचा गया। इसी तरह महमदपुर नमकसार की रामपती मजदूरी करके किसी तरह जीविकोपार्जन करती हैं। खेती न होने के बाद भी इनके आधारकार्ड पर अनाज सरकारी केंद्रों पर तौल होना दिख रहा है। साल भर नहीं चलता अनाज, मजदूरी का भरोसा

गढ़ा गांव की सीमा। कहने के लिए इनके परिवार में एक बीघा जमीन है। इसी में जैसे-तैसे गेहूं और धान की पैदावार हो जाती है, लेकिन इतनी नहीं कि पूरे साल चल सके। मजदूरी ही एक मात्र सहारा है। इसके बावजूद इनके नाम पर भी उपज बेची गई। वर्जन

फिलहाल प्रकरण संज्ञान में नहीं है। आधार का दुरुपयोग हुआ है तो गलत है। जांच के बाद ही कुछ पता चल सकेगा।

अमित कुमार, एडीएम प्रशासन

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