आत्मनिर्भर बनने की राह में बैंक बने रोड़ा

रायबरेली आधी आबादी आत्मनिर्भर बने। कुछ इसी उद्देश्य से उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित किय

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 11:55 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 11:55 PM (IST)
आत्मनिर्भर बनने की राह में बैंक बने रोड़ा
आत्मनिर्भर बनने की राह में बैंक बने रोड़ा

रायबरेली : आधी आबादी आत्मनिर्भर बने। कुछ इसी उद्देश्य से उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है। स्वयं सहायता समूह गठित करके महिलाओं को जोड़कर रोजगार उपलब्ध कराया जाता है।

इस दौरान उन्हें हुनरमंद भी बनाया जाता है, ताकि एक-दूसरे का सहयोग करके उद्मम भी स्थापित कर सके। इस दौरान उन्हें आर्थिक संकट से न जूझना पड़े और छोटी-छोटी बचत को बैंक में जमा कर सके इसके लिए खाता भी खोलवाया जाता है। वहीं बैंकों द्वारा दिलचस्पी नहीं दिखाने से करीब 1700 समूह निष्क्रिय होने के कगार पर पहुंच गए हैं। हाल यह है कि एक-दो नहीं बल्कि छह महीने से महिलाएं बैंक के चक्कर लगा रही हैं। उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। स्वयं सहायता समूह के खातों की स्थिति

वित्तीय वर्ष 2021-22 में गठित समूह - 2400

बैंकों में खाता के लिए लंबित आवेदन- 1750

सीसीएल के लिए लंबित आवेदन- 172 प्रमुख बैंकों में खाता के लिए लंबित आवेदन

बैंक आफ बड़ौदा- 202बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक- 102

पंजाब नेशनल बैंक - 37

स्टेट बैंक आफ इंडिया- 32

समूहों के लंबित सीसीएल

इंडियन बैंक - 21

बैंक आफ बड़ौदा - 30

बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक -106

केनरा बैंक- 6

सेंट्रल बैंक- 4

स्टेट बैंक आफ इंडिया - 5 लीड बैंक सरकार की योजना में बाधक

बैंक आफ बड़ौदा जिले की लीड बैंक है। नारी सशक्तिकरण के यही बैंक सबसे अधिक रोड़ा अटका रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संचालित स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बैंक के चक्कर लगा रही हैं, लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा है। ऐहार बैंक आफ बड़ौदा और रसूलपुर शाखा में कई आवेदन लंबित हैं। इसी तरह पीएनबी परैया नमकसार की शाखा में भी ऐसा ही हाल है।

वर्जन

बैंकों द्वारा खाता खोलने में समूह संचालन में दिक्कतें आ रही हैं। इसमें कई बैंकों द्वारा दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है। इतना ही नहीं सीसीएल कई समूहों के लंबित हैं। जल्द ही इस संबंध में बैंक के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा।

जीपी कुशवाहा, उपायुक्त, स्वत: रोजगार

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