सरकारी मदद न अपनों का सहारा, आखिर कैसे हो गुजारा

कर्तव्य पथ पर 40 शिक्षकों कर्मचारियों ने जान गंवाई महज तीन आश्रितों को मिली नौकरी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 12:13 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 12:13 AM (IST)
सरकारी मदद न अपनों का सहारा, आखिर कैसे हो गुजारा
सरकारी मदद न अपनों का सहारा, आखिर कैसे हो गुजारा

रायबरेली : शिक्षक को समाज का दर्पण कहा जाता है। भविष्य के कर्णधारों को संवारने की इन पर जिम्मेदारी है। दूसरों को अनुशासन की सीख देने वाले गुरुजन कोरोना महामारी के दौरान कर्तव्य पथ पर बिना रुके चलते रहे। पंचायत चुनाव कराया। इस दौरान कोरोना संक्रमण की चपेट में आए कई शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों ने जान गवां दी। एक, डेढ़ तो किसी के परलोकवासी हुए दो महीने हो चुके हैं। विभागीय उदासीनता के कारण अब तक पीड़ित परिवारजन दर-दर की ठोकरें खाने को विवश हैं। अनुकंपा नियुक्ति की राह में भी तमाम अड़चनें आ रही हैं। इस कारण 40 में महज तीन मृतक आश्रित ही नियुक्ति पा सके।

सता रही बेटियों के पढ़ाई की चिता

सरेनी के पूरे लाऊ पाठक मजरे छिवलहा गांव निवासी शिक्षक हरिशंकर चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित हो गए। रेलकोच के लेवल टू हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। वर्तमान में परिवार की पूरी जिम्मेदारी पत्नी अनीता पर है। बड़ी बेटी दीपाली बीएससी द्वितीय वर्ष और छोटी सोनाली कक्षा 11 में है। अनीता कहती हैं कि 30 लाख रुपए आर्थिक मदद की सूची में नाम है। अब तक कुछ नहीं मिला। अब तो दाने-दाने को मोहताज होते जा रहे हैं। बेटियों की पढ़ाई में भी समस्या आने लगी है।

आवेदन के बाद भी नहीं मिला सहारा

शिवगढ़ के प्राथमिक विद्यालय दरियावगंज में तैनात रहे शिक्षामित्र व्यास पाठक का कोरोना से निधन 28 अप्रैल को हो गया था। पत्नी सविता यादव एक निजी विद्यालय में नौकरी करती हैं। कहती हैं कि पति के असमय साथ छोड़ जाने के बाद तो पूरी गृहस्थी चौपट हो गई। 14 वर्षीय बेटे अथर्व को पढ़ाने में तमाम समस्याएं आने लगी हैं। बेसिक शिक्षा विभाग में आनलाइन आवेदन भी किया। मुख्यमंत्री तक से गुहार लगाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

कोरेाना संक्रमण से जान गंवाने वाले शिक्षक और कर्मियों के देयकों के भुगतान में तेजी लाने को कहा गया है। अधिकांश आश्रित शिक्षक बनना चाह रहे हैं। योग्यता पूरी होने पर ही ऐसा संभव है। भुगतान के संबंध में पत्रावली तैयार कराई जा रही है।

शिवेंद्र प्रताप सिंह, बीएसए

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