जाने को नहीं आने का..घरवापसी को परदेसियों की कतार
परिवहन निगम की करीब 100 बसें इस वक्त सिर्फ
रायबरेली : परिवहन निगम की करीब 100 बसें इस वक्त सिर्फ अप्रवासियों की सेवा में लगी हुई हैं। हाल यह है कि यहां से जाने वालों की संख्या बसों में न के बराबर होती है, जबकि आने वाले मुसाफिरों की भरमार रहती है। इनमें 90 फीसद अप्रवासी ही होते हैं।
पिछले साल लगे लॉकडाउन में तमाम अप्रवासी गांव लौट आए थे। अनलॉक के बाद हालात सुधरे को फिर हरियाणा, पंजाब, मेरठ, नोएडा, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों की ओर रुख किया। कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने एक बार फिर वही स्थितियां उत्पन्न कर दीं। ऐसे में अप्रवासियों ने फिर घरों की ओर रुख कर लिया है। कानपुर और लखनऊ तक तो ट्रेन की सुविधा मिल जाती है। इसके बाद रोडवेज की बसें ही सहारा बन रहीं हैं। रायबरेली डिपो में अनुबंधित और सरकारी मिलाकर 176 बसें हैं। इनमें 60 बसें चुनाव ड्यूटी में लगी हैं। शेष बसों में 100 तो सिर्फ लखनऊ और कानपुर रूट पर ही चल रहीं हैं। यात्रियों की संख्या को देखते हुए अन्य रूटों की बसों को भी इन्हीं मार्गों पर चलाया जा रहा है। उड़ा रहे सुरक्षा मानकों की धज्जियां
हर रोज हजारों की संख्या में अप्रवासी रोडवेज की बसों से आ रहे हैँ। संक्रमण को देखते हुए शासन ने सीटों से अधिक यात्री न बैठाने के निर्देश दिए हैं, जबकि बसें यात्रियों से खचाखच भरी रहती हैं। इससे संक्रमण के फैलने का खतरा और भी बढ़ गया है। यात्री मानते नहीं, पुलिस भी काट रही चालान
सीटों की क्षमता के अनुसार ही बसों में यात्री बैठाने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन बड़े शहरों में इस कदर मुसाफिरों की भीड़ है कि लोग किसी की बात सुनते ही नहीं। बस में चढ़ने से रोकने पर चालक-परिचालक से झगड़ा करने लगते हैं। ओवरलोड होने पर पुलिस भी बसों का चालान कर रही है।
अक्षय कुमार
एआरएम, रायबरेली डिपो