कैसे हो मुंह लाल, सयाने हड़प रहे अनुदान
--पान की खेती नहीं करते किसान फिरभी मिल गया अनुदान --अफसरों द्वारा भौतिक सत्यापन के बाद दिया जाता अनुदान
रायबरेली : उद्यान विभाग में सरकारी योजनाओं का लाभ पात्रों को नहीं मिल पा रहा है। कुछ ऐसी ही स्थिति पान की खेती को लेकर है। अपात्र सरकारी अनुदान की राशि हजम कर जा रहे,जबकि वास्तविक किसान वंचित हैं।
जिले में शिवगढ़, बछरावां क्षेत्र में सबसे ज्यादा पान की खेती होती है। इसके लिए किसानों को शासन से दो श्रेणी में अनुदान दिया जाता है। 1500 वर्ग मीटर में पान लगाने वालों को 75680 रुपये और एक हजार वर्ग मीटर में खेती करने वालों को 50453 रुपये देने का प्रावधान है। यह पूरी लागत का 50 फीसद होता है। 1500 वर्ग मीटर के आठ और एक हजार वर्ग मीटर के 35 लाभार्थी हैं। हैरत की बात यह है कि अधिकारियों ने भौतिक सत्यापन के बिना ही अनुदान दे दिया। मिला अनुदान पर नहीं करते खेती
डलमऊ : भारतीय किसान यूनियन के तहसील अध्यक्ष प्रमोद पटेल द्वारा जनसूचना मांगी गई। उपलब्ध सूची में नरसवां के दो किसानों के नाम हैं, उन्हें अनुदान दिया गया। ये दोनों किसान पान की खेती नहीं करते हैं। जनसूचना में बताया गया कि योजना का लाभ तमोली व चौरसिया को ही देने का प्रावधान है, लेकिन अन्य लोगों को भी दिया गया। सूची में नाम, नहीं मिला अनुदान
खीरों : पान की खेती करने वाले रमुआपुर दुबाई निवासी परमेश्वरी चौरसिया व ठाकुरपुर के विद्याशंकर चौरसिया का नाम विभाग की सूची में शामिल है। दोनों किसानों ने बताया कि कई दशक से पान की खेती की जा रही है, लेकिन अनुदान नहीं मिला।
सत्यापन के बाद भी अनुदान दिया जाता है। इसकी जांच इंस्पेक्टर करते हैं। वही कुछ बता सकते हैं।
केशवराम चौधरी, जिला उद्यान अधिकारी