यहां दिग्गजों की अपनी 'नीति' और 'रणनीति'
पार्टी से चयनित सूची का कोई मायने है न संगठन के अनुशासन की फिक्र जिपं अध्यक्ष की कुर्सी पर अपना समर्थक बैठाने को सब कुछ लगाया दांव
रायबरेली : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कहने के लिए तो छोटे से लेकर बड़े तक कई दल मैदान में हैं। जिला पंचायत सदस्य पदों पर इन्होंने अपने-अपने दावेदार भी उतारे हैं। जनता के बीच जाकर वोट भले ही ये उम्मीदवार मांग रहे हों, लेकिन असल चुनाव तो यहां के दिग्गजों के बीच है। पार्टी और संगठन की नीति-रीति से अलग इनकी रणनीति चल रही है। देखना यह है कि जीत संगठन के पाले में जाती है या फिर धुरंधरों के पास।
जिले में राजनैतिक दलों का पूरा फोकस जिला पंचायत सदस्य के चुनाव पर है। इसके 52 पदों पर मतदान होना है। सपा ने अलग-अलग दो बार में 29 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। जबकि भाजपा ने एक साथ ही सभी पदों पर प्रत्याशियों की घोषणा की थी। इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा समेत अन्य कई छोटे दल भी चुनावी मैदान में हाथ आजमा रहे हैं। समर्थित प्रत्याशियों के बूते इन संगठनों के लड़ने से यह चुनाव और भी रोचक हो गया है। राजनीति से जानकारों का कहना है कि सबसे दिलचस्प लड़ाई बड़े दलों की होने वाली है। वजह, इनमें एक तरफ ये दल चुनाव लड़ रहे हैं तो दूसरी तरह उनमें शामिल कुछ दिग्गज नेता। कहने को तो ये संगठन के साथ खड़े नजर आ रहे हैं, लेकिन इनका असल चुनाव अलग ही लड़ा जा रहा है।
संगठन के अंदर और बाहर भी प्रत्याशी
ऊपर तक पहुंच रखने वाले इन नेताओं के निशाने पर सिर्फ जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी है। इस पर अपना समर्थक बैठाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ने को तैयार नहीं। संगठन के समर्थन से इनके जो समर्थक खड़े हैं, उसके अलावा भी हर सीट पर इन नेताओं ने अपने दावेदार उतार रखे हैं।
एक नहीं बल्कि उतारे कई दावेदार
कुछ बड़े नेता ऐसे भी हैं, जिन्होंने सभी सीटों पर अपना समर्थक उतारा है। एक दो नहीं, बल्कि कई-कई प्रत्याशियों को चुनाव लड़ा रहे हैं। फिलहाल तो सभी को जीत का सपना दिखाया जा रहा है। अंत तक जो प्रत्याशी मजबूत बैठेगा, उसी के सिर पर हाथ रख दिया जाएगा।