मिली नई पहचान, ये हैं गोभी के गांव...

--किसान साल भर करते बंद फूल और ब्रोकली गोभी की पैदावार

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 11:44 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 11:44 PM (IST)
मिली नई पहचान, ये हैं गोभी के गांव...
मिली नई पहचान, ये हैं गोभी के गांव...

रायबरेली : मन में कुछ करने का जज्बा हो तो मुश्किलें आसान हो जाती हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया क्षेत्र के पूरे त्रिभुवन, शहजादपुर, रैयापुर के किसानों ने। इन गांवों के अधिकतर किसान गोभी की खेती करते हैं। सीजन में नहीं, बल्कि पूरे साल गोभी तैयार करके आसपास की बाजारों के साथ ही मुख्यालय तक पहुंचाते हैं। किसानों का गुजर बसर इसी फसल से होता है। इन गांवों को गोभी उत्पादन से नई पहचान मिल गई है। पूरे त्रिभुवन की आबादी करीब 600 के आसपास है। तीन दशकों से अधिक समय से इस गांव के लोग गोभी की खेती कर रहे हैं। बलराम मौर्य, विजयकांत, वासुदेव, रोहित, बुधराज, अवधेश, रामराज बताते हैं कि गोभी तैयार होने के बाद दोबारा उसी भूमि पर पौधे रोप दिए जाते हैं। फूल और बंद गोभी की पैदावार तो 12 महीने करते हैं, लेकिन ब्रोकली सिर्फ ठंडी में होती है। अलग-अलग बीज से नर्सरी तैयार करके रोपाई की जाती है। यह क्रम बराबर चलता रहता है। कस्बे की मंडी से ही इसकी बिक्री हो जाती है। कभी कभार विशेष मांग पर फूल मुख्यालय भेजते हैं। इससे उन्हें काफी मुनाफा होता है। इन किसानों से प्रेरित होकर रैयापुर के परशुराम, कंधई, कालिका प्रसाद, देवता दीन, अजय पाल, संजय पाल भी गोभी की खेती करके आत्मनिर्भर बन रहे हैं। करीब डेढ़ सौ किसान 500 बीघे में इसकी पैदावार कर रहे हैं। अधिकारियों की पहली पसंद ब्रोकली

इन गांवों के किसान ब्रोकली की खेती करते हैं। ये सबसे गुणकारी मानी जाती है। बाजार में इसका अच्छा मूल्य भी मिल जाता है। ऊंचाहार एनटीपीसी के अधिकारी भी इसे काफी पसंद करते हैं।

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