ऑडिट में पकड़ा गया 71 लाख का घपला, होगी वसूली
जागरण संवाददाता, रायबरेली : कोई कितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन काले कारनामे छिपते नही
जागरण संवाददाता, रायबरेली : कोई कितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन काले कारनामे छिपते नहीं। भले ही उनके उजागर होने में कुछ समय क्यों न लग जाए। ऐसा ही कुछ जिले में हुआ। करीब आठ साल पहले गांवों के विकास के नाम पर सरकारी खाते से धन निकाला गया। मगर, सही जगह उसका इस्तेमाल नहीं हुआ। अब जाकर यह मामला उजागर हुआ है। इसके बाद घोटालेबाजों से हड़पे गए रुपयों की पाई-पाई वसूलने की तैयारी प्रशासन ने कर ली है।
वित्तीय वर्ष 2010-11 में विकास के नाम पर जमकर खेल हुए थे। जिले स्तर पर से¨टग के चलते मामले दबे रह गए। मगर, कब तक इन्हें दबाकर रखा जाता। कुछ दिन पहले सामने आई ऑडिट रिपोर्ट में पूरी पोल खुल गई। ऑडिट में 71 लाख 15 हजार 973 रुपये का गोलमाल पकड़ में आ गया। इसकी जानकारी होते ही विकास विभाग में खलबली मची है। जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए वसूली के आदेश दिए हैं। जिला पंचायत राज अधिकारी उपेंद्र राज ¨सह ने बताया कि ऑडिट में गबन पकड़ा गया है। इसकी वसूली के निर्देश मिले हैं। रिकवरी कराई जाएगी। इन गांवों में पाई गई गड़बड़ी
ऑडिट में जिन गांवों में गड़बड़ी सामने आई है। उनमें कोंसा, पश्चिम गांव, उमरामऊ, बंदरामऊ, कुसुमी, विशायकपुर, कोटिया एहतमाली, खजुरी, दुल्लापुर, मनिहरशर्की, रामपुर बरारा, पूरबगांव, रावतपुर कला, कसरावां, बेलाटेकई, बरुआ, दरियापुर ग्राम पंचायतें शामिल हैं।
घर बैठे तो कुछ ने छोड़ दिया जिला
जिनसे इस धनराशि की वसूली होनी है, उनमें संबंधित ग्राम पंचायत के तत्कालीन ग्राम विकास और ग्राम पंचायत अधिकारी शामिल हैं। खास बात यह है कि कई कर्मचारी तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जबकि कुछ का तबादला दूसरे जिलों में हो चुका है। कई कर्मचारी ऐसे भी हैं, जो अब घोटाले के समय वाले कार्यक्षेत्र में नहीं रहे। वसूली के आदेश तो हुए। लेकिन इस पर कितना और किस तरह से अमल होगा, यह समय बताएगा।