मजबूत कानून व्यवस्था के लिए अब एसपी से सीधी बात

- नवागत कप्तान ने बीट पुलिसिग के लिए शुरू कराया प्रशिक्षण परीक्षण और मूल्यांकन - फील्ड वर्क के साथ ऑफिस के काम की जानकारी डे अफसर बनने का मिल रहा मौका

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 12:09 AM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 05:10 AM (IST)
मजबूत कानून व्यवस्था के लिए अब एसपी से सीधी बात
मजबूत कानून व्यवस्था के लिए अब एसपी से सीधी बात

रायबरेली : कानून व्यवस्था बेहतर हो, ये हर कप्तान की प्राथमिकता रहती है। इसे और कैसे निखारा जाए, इसके लिए तरह-तरह के प्रयोग भी किए जाते हैं। इनके सकरात्मक तो कभी-कभी नकरात्मक परिणाम भी आते हैं। नवागत कप्तान भी मजबूत कानून व्यवस्था के लिए खासे प्रयत्नशील हैं। हालांकि अभी इन्होंने कोई नया प्रयोग नहीं किया मगर, इसकी पूरी तैयारी में जरूर हैं। इसके लिए कप्तान ने मातहतों से सीधी बात का फार्मूला निकाला है।

फिलवक्त पुलिस अधीक्षक ने बीट पुलिसिग को बेहतर बनाने के लिए प्रशिक्षण, परीक्षण और मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू करा दी है। इस क्रम में प्रत्येक कार्यदिवस पर तीन अलग-अलग थानों से एक दारोगा और एक-एक सिपाही जिला मुख्यालय बुलाए जा रहे हैं। यहां उन्हें कार्यालय के कामकाज की जानकारी दी जाती है। पुलिस सेवा से जुड़ी उनकी समस्याओं का निराकरण करवाया जा रहा है। सेवा काल में उनके द्वारा किए गए अच्छे कार्य और गलत कार्यों की जानकारी दी जा रही। साथ ही पुलिस लाइंस में असलहों की देखरेख, फायरिग का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। फिर एसपी इनसे मुखातिब होकर पुलिसिग के बारे में सीधी बात करते हैं। दारोगा को एक दिन का डे अफसर बनने का मौका दिया जाता है। इसमें वह गुप्त जांच के लिए भेजा जा सकता है। या फिर उससे वाहन चेकिग कराई जा सकती है।

क्या होती है पुलिस बीट

थाना क्षेत्र में अलग-अलग एरिया को छोटे-छोटे इलाकों में बांट दिया जाता है। उस छोटे इलाके को ही बीट कहते हैं। इसकी जिम्मेदारी मुख्य आरक्षी और आरक्षी की होती है। दो या तीन इलाकों यानी बीट को जोड़ दिया जाए तो उसे हल्का कहते हैं, इसका इंचार्ज हल्का दारोगा यानी एसआइ होता है।

बीट पुलिसिग के लाभ

इससे क्षेत्र में अपराध की रोकथाम और अपराधियों के ऊपर करीबी नजर रखने में आसानी होती है। स्थानीय लोगों के भीतर सुरक्षा का विश्वास पैदा होता है। लोगों की हिफाजत करना आसान हो जाता है। वारंट या समन को तामील कराने में आसानी होती है।

वर्जन,

हां, बीट पुलिसिग सुधार के लिए काम चल रहा है। दारोगा हो या सिपाही, उनसे मैं स्वयं बात करता हूं। उनकी ड्यूटी और कार्यों के बारे में पूछता हूं। उन्हें भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है।

श्लोक कुमार, पुलिस अधीक्षक

chat bot
आपका साथी