जापानी बुखार का पहला केस, बच्ची मिली संक्रमित

-- एक सप्ताह से जिला अस्पताल में चल रहा था इलाज -- तबीयत में सुधार होने पर घर भेजी गई मासूम

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 11:32 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 11:32 PM (IST)
जापानी बुखार का पहला केस, बच्ची मिली संक्रमित
जापानी बुखार का पहला केस, बच्ची मिली संक्रमित

रायबरेली : जिले में जेई यानी जापानी इंसेफेलाइटिस (जापानी बुखार) का पहला केस मिला है। जिला अस्पताल में एक सप्ताह से भर्ती तीन साल की बच्ची की रिपोर्ट पाजिटिव आ गई। हालांकि हालत में सुधार होने पर मंगलवार को उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। जेई के मद्देनजर चिकित्सक बुखार पीड़ित बच्चों की जांच पर ज्यादा जोर दे रहे हैं।

शिवगढ़ की बच्ची को तेज बुखार होने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिड्रोम के लक्षण मिलने पर जापानी इंसेफेलाइटिस की जांच कराई गई, जिसकी रिपोर्ट सोमवार को मिली। जेई पाजिटिव होने की सूचना से स्वास्थ्य विभाग के अफसर भी हरकत में आ गए। रात भर बच्ची को निगरानी में रखा गया। सुबह जिला मलेरिया अधिकारी डा. रितू श्रीवास्तव बच्ची का हाल जानने पहुंचीं। चिकित्सक ने बताया कि उसका स्वास्थ्य पहले से काफी बेहतर है, इसलिए डिस्चार्ज कर घर भेज दिया गया। बाल रोग विशेषज्ञ डा. राजेंद्र शर्मा ने बताया कि बच्ची को तेज बुखार था, वह बार-बार बेहोश हो जा रही थी। जेई के लक्षण मिलने पर जांच कराई गई। साथ ही उसी के अनुरूप उपचार किया गया, जिससे उसकी हालत में तेजी से सुधार हुआ।

जेई के लक्षण

वरिष्ठ फिजीशियन डा. बीरबल ने बताया कि जापान इंसेफेलाइटिस फ्लेवि वायरस संक्रमित मच्छर के काटने से फैलती है। ये संक्रामक बीमारी नहीं है। तेज बुखार, गर्दन में अकड़न, सिरदर्द, बुखार आने पर घबराहट होना, ठंड के साथ-साथ कंपकंपी लगना इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं। कभी-कभी मरीज कोमा में भी चला जाता है।

एक और डेंगू का मरीज मिला

सलोन में डेंगू का मरीज मिला है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव मरीज के परिवार व आस पड़ोस के लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दवाएं वितरित कीं। सफाई कर्मी बुलाकर एंटी लार्वा का छिड़काव कराया गया। मरीज की हालत ठीक बताई जा रही है। जनपद में अब तक 14 मरीज मिल चुके हैं।

जेई का पहला केस सामने आया है। एक्यूट इंसेफेलाइटिस के 14 मरीज मिल चुके हैं जो इलाज के बाद बिल्कुल ठीक हैं। चिकुनगुनिया का भी एक मरीज मिला था, जो अब स्वस्थ है।

डा. रितु श्रीवास्तव, जिला मलेरिया अधिकारी

chat bot
आपका साथी