अफसरों ने किया निराश तो चंदा से ड्रेन की कराई सफाई

किसानों की हर साल हजारों हेक्टेयर फसल हो जाती थी चौपट

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 12:55 AM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 06:12 AM (IST)
अफसरों ने किया निराश तो चंदा से ड्रेन की कराई सफाई
अफसरों ने किया निराश तो चंदा से ड्रेन की कराई सफाई

रायबरेली : किसानों को बेहतर सुविधा मिले इसके लिए ड्रेन और माइनर बनवाए गए। लेकिन सफाई नहीं होने से सिल्ट जमा हो गई। साथ ही झाड़िया उग आई। नतीजतन हर साल हजारों हेक्टेयर फसल पानी में जलमग्न हो जाता था। इस बार इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए किसानों ने ठान ली। पहले जिम्मेदारों के चौखट पर जाकर फरियाद लगाई। सुनाई नहीं हुई तो खुद ही सफाई कराने की ठान ली। आसपास के गांवों में चंदा एकत्र किया। इसके साथ ही कसरावां ड्रेन की तस्वीर बदलने लगी।

क्षेत्र के नेरथुआ ग्राम पंचायत में स्थित कसरावां झील से निकली करीब साढे़ चार किलोमीटर लम्बी कसरावां ड्रेन नेरहुआ, बसंतपुर-सकतपुर, राजापुर, सीवन, कथकौली होते हुए सीधे अमेठी जनपद में स्थित गुमिया ड्रेन में मिल जाती है। काफी समय से अफसरों ने ड्रेन की सफाई नहीं हुई। अफसर भी कुंभकर्णी नींद सोते रहे। मजबूर होकर किसानों ने आपस में चंदा जुटाकर ड्रेन की सफाई कराने का मन बना लिया। 42 घंटे जेसीबी से ढाई किलोमीटर ड्रेन की सफाई करा दी।

किसानों को दिखी आशा की किरण

किसान रामप्रकाश यादव, सुरेश चंद्र शुक्ला, जसवंत सिंह, शिव अमर सिंह, गोविद सिंह, रामकिशोर सिंह, तेज बहादुर सिंह, अविनाश शुक्ला, बजरंग सिंह, मलखान सिंह, उमेश मिश्रा, राम प्रसाद शुक्ला आदि ने मुख्य भूमिका निभाई। कहते है कि विभागीय अफसर के साथ ही डीएम, एसडीएम को कई बार प्रार्थना पत्र दिया। लेकिन नतीजा शून्य रहा। धनाभाव के कारण आगे की दो किमी ड्रेन सफाई नहीं हो सकी। हालांकि ढाई किमी सफाई हो जाने से फसल उत्पादन को लेकर किसानों के चेहरे पर आशा की किरण साफ दिखाई दे रही है।

कोट

किसानों द्वारा चंदा लगाकर कसरावां ड्रेन की सफाई कराए जाने का मामला संज्ञान में नही है। जेई को भेजकर जांच कराई जाएगी।

-संजय मिश्रा, अधिशासी अभियंता सिचाई विभाग हैदरगढ़ खण्ड - 28

chat bot
आपका साथी