क्षमता से ज्यादा गोवंश, बारिश में भी सूखा चारा
- कीचड़ और गंदगी के बीच खड़े रहते गोवंश जिम्मेदार बेफिक्र
रायबरेली : किसानों को राहत पहुंचाने और गोवंशों के संरक्षण के लिए गोशालाएं स्थापित कराई गईं। इनमें देखरेख और व्यवस्था खस्ताहाल होने के कारण सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा। आलम यह है कि कीचड़ और गंदगी के बीच गोवंश बारिश में भी सूखा चारा खा रहे। बैठने और पानी की भी व्यवस्था माकूल नहीं है। दैनिक जागरण टीम ने सोमवार को पड़ताल की तो हकीकत सामने आई। पेश है, यह रिपोर्ट---
सुबह 11 बजे
खीरों के अकोहरिया और गोनामऊ की क्षमता 70 की है, लेकिन यहां क्रमश: 169 और 155 गोवंश हैं। मेरुई की गोशाला में 300 की जगह 489 गोवंश बंधे मिले। इन सभी को केवल सूखा चारा दिया गया। गोसेवक हरे चारे और दाने की बातें तो करते रहे, लेकिन मौके की स्थितियां कुछ और ही दास्तां बयां कर रही थीं।
सुबह 11.30 बजे
राही के बेलाखारा में वृहद गौशाला है। यहां भी 300 की जगह 555 गोवंश घूमते मिले। हरे चारे की व्यवस्था नहीं है। पशु आहार देकर किसी तरह खानापूरी की जा रही है। 20 माह के भीतर यहां 74 गोवंशों की मौत हो चुकी है। आठ लोगों का स्टाफ होने के बावजूद गोवंशों की सही से देखरेख नहीं हो रही है।
दोपहर 12 बजे
लालगंज के गोविदपुर वलौली गोशाला में 75 की जगह करीब 125 गोवंश विचरण करते मिले, वो भी कीचड़ में। टिनशेड के नीचे रखा भूसा बारिश के पानी की वजह से आधा सड़ चुका था। यहां गोबर फेंकने के लिए भी अलग व्यवस्था नहीं है, इस वजह से चारों ओर गंदगी पसरी मिली।
54 गोशालाएं संचालित हैं, जिनमें 10740 गोवंश संरक्षित हैं। कान्हा उपवन और गो संरक्षण केंद्रों के निर्माण का काम प्रगति पर है। ये सभी संचालित होने लगेंगे तो बेसहारा मवेशियों से किसानों को राहत मिलेगी। गोशालाओं में व्यवस्था दुरुस्त रहे, इसके लिए समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है।
डा. जीपी सिंह, जिला पशु चिकित्साधिकारी