तीसरी लहर से जंग को तैयार कोविड हॉस्पिटल
- 202 बेड पर ऑक्सीजन पाइप लाइन 98 पर सिलिडर की व्यवस्था - एक्सरे मशीन और पैथालॉजी भी प्रशिक्षित स्टाफ की होनी है तैनाती
रायबरेली : कोरोना की दूसरी लहर की वजह से उत्पन्न हुए हालात चिकित्सा तंत्र संभाल नहीं सका। तीसरी लहर में फिर वैसी परिस्थितियां न बनें, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग संग प्रशासन तैयारियों में जुटा है। खासकर रेलकोच कारखाने में बने कोविड हॉस्पिटल (एलटू फैसिलिटी सेंटर) को महामारी की संभावित जंग से लड़ने के लिए तैयार कर लिया गया है।
संक्रमण की दूसरी लहर के वक्त इस हॉस्पिटल में सिर्फ 102 बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था थी। रोजाना बड़ी संख्या में संक्रमित मिल रहे थे। उन्हें भर्ती करने के लिए बेड कम पड़ जा रहे थे। रोगियों को लखनऊ या फिर बाराबंकी रेफर किया जा रहा था। संक्रमण का ग्राफ कुछ कम होने पर एम्स में 50 बेड का कोविड का लेवल-थ्री हॉस्पिटल खोला गया। इस बीच ऑक्सीजन की कमी की समस्या बराबर बनी रही। जिला प्रशासन ने किसी तरह व्यवस्था करने की कोशिश की, इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई। संक्रमण की वजह से अब तक 347 लोगों की जान जा चुकी है। तीसरी लहर में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर सहित जरूरी दवाओं की उपलब्धता को लेकर पिछले तीन महीनों से लगातार काम चल रहा है।
सौ बेडों पर बढ़ी ऑक्सीजन पाइप लाइन
पहले यहां 102 बेड पर ऑक्सीजन की सेंट्रल पाइप लाइन से आक्सीजन की आपूर्ति की जाती थी, जो अब बढ़कर 202 हो गई है। 98 बेड पर सिलिडर या कंसंट्रेटर से ऑक्सीजन दिए जाने का प्रबंध किया गया है। एक्सरे मशीन और पैथालॉजी की व्यवस्था भी की गई है। डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को प्रशिक्षित भी किया जा चुका है।
40 बेड का पीडियाट्रिक वार्ड
एल-टू हॉस्पिटल में 40 बेड का पीडियाट्रिक वार्ड बनाया गया है। बच्चों के संक्रमित होने की आशंका के मद्देनजर दस बेड का वेंटिलेटर वार्ड, दस बेड की हाइ डिपेंडेंसी यूनिट बनाई गई है। इसके अलावा 20 बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था है।
एल-टू हास्पिटल पर एक नजर
डॉक्टर-- 9
नर्सिंग स्टाफ-- 23
वार्ड ब्वाय-- 12
स्वीपर-- 12
ऑक्सीजन प्लांट-- 225 लीटर प्रति मिनट
ऑक्सीजन सिलिडर-- 210
कंसंट्रेटर-- 23 सात लीटर प्रति मिनट
कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना है। एल-टू हास्पिटल पर सबसे ज्यादा फोकस किया गया है। यहां 300 बेड पर उपचार की सुविधा होगी, जिसमें से 40 बेड बच्चों के लिए रिजर्व किए गए हैं।
डॉ. वीरेंद्र सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी