जालसाजी से चहेतों को कीमती भूमि दिलाने की थी साजिश

वर्ष 2019 में एडीएम प्रशासन की जांच के बाद सामने आया था चकबंदी में गड़बड़झाला

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 11:22 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 11:22 PM (IST)
जालसाजी से चहेतों को कीमती भूमि दिलाने की थी साजिश
जालसाजी से चहेतों को कीमती भूमि दिलाने की थी साजिश

रायबरेली : सियासत का मुद्दा बनी गुनावर कमंगलपुर की जो घटना चार दिन पहले हुई, असल में उसकी नींव कई साल पहले पड़ गई थी। इसे डालने वाले कोई और नहीं, बल्कि चकबंदी विभाग के अफसर ही थे। चकबंदी का यहां पर सिर्फ नाम था। साजिश रची जा रही थी चहेतों को कीमती भूमि दिलाने की। तत्कालीन डीएम ने मामले को पकड़ा न होता तो अधिकारी मंसूबे में सफल भी हो जाते।

दो साल पहले जिलाधिकारी की ओर से चकबंदी आयुक्त को भेजे गए एक पत्र ने पूरी साजिश का राजफाश कर दिया है। यह सरकारी पत्र नौ मई 2019 को लिखा गया था। इस पत्र में स्पष्ट दर्शाया गया है कि किस तरह सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर किया गया। सहायक चकबंदी अधिकारी ने बंजर के खाते में दर्ज भूमि पर फर्जी तरीके से चहेतों के नाम लिख दिए थे। इसके बाद चकबंदी के सहारे व्यापारिक नजरिए से कीमती मानी जाने वाली सड़क के किनारे की जमीन इन फर्जी खातेदारों को दिलाई जानी थी। मामला डीएम तक तब पहुंचा, तब गांव के ही नागेंद्र कुमार दीक्षित ने शिकायत दर्ज कराई। आरोप लगाया कि एक माननीय को उपकृत करने की कोशिश की जा रही है। अपर जिलाधिकारी प्रशासन से पड़ताल कराई गई। इसमें सहायक चकबंदी अधिकारी की सारी पोल खुल गई थी। ग्रामीण पहले से ही इस धांधली के बारे में जानते थे। यही कारण है कि वह सड़क पर उतरने के लिए मजबूर हुए।

इनसेट आयुक्त से हुई थी चकबंदी रोकने की सिफारिश

सहायक चकबंदी अधिकारी की कारगुजारी सामने आने के बाद डीएम ने मामले को गंभीरता से लिया था। उन्होंने चकबंदी आयुक्त लखनऊ को पत्र लिखकर चकबंदी की प्रक्रिया से इस गांव को पृथक करने की संस्तुति की थी। इसके बाद भी शासन से कोई निर्देश नहीं मिले। इनसेट

दोबारा डीएम ने लिखा था पत्र बताते हैं कि जिलाधिकारी के एक पत्र पर शासन से कोई दिशा निर्देश नहीं मिले थे। इस पर उन्हें फिक्र थी कि कहीं प्रक्रिया पूरी न हो जाए। एक बार चकबंदी हो गई तो उसे पलटना संभव नहीं होगा। ऐसे में डीएम ने दोबारा चकबंदी आयुक्त को पत्र लिखा था।

chat bot
आपका साथी