चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने लगा दिया इंजेक्शन

ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल कहीं चिकित्सक तो कहीं दवाएं मयस्सर नहींझ कोविड टेस्ट के डर से सरकारी अस्पताल नहीं आ रहे रोगी स्टाफ की कमी भी बड़ा कारण।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 12:26 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 12:26 AM (IST)
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने लगा दिया इंजेक्शन
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने लगा दिया इंजेक्शन

रायबरेली : ग्रामीण अंचल में संचालित सीएचसी में मरीजों की आवक कम हो गई है। पहला कारण ओपीडी का बंद होना है और दूसरा इमरजेंसी में कोविड जांच। सर्दी, जुकाम और बुखार के मरीज अभी ज्यादा आ रहे हैं, इनका इलाज तभी किया जाता है, जब कोरोना की जांच हो जाए। जिला अस्पताल की इमरजेंसी ही ऐसी दिखी, जहां सुबह से लेकर शाम तक मरीजों की लाइन लगी रही। नसीराबाद में अधिकांश स्टाफ पॉजिटिव होने के कारण वहां तो चिकित्सा सेवाएं ही लगभग ठप हो गईं। एक रिपोर्ट..

सुबह नौ बजे- सीएचसी लालगंज

इमरजेंसी हाल के सभी दरवाजे बंद थे, एक खिड़की खुली थी। बेहटा गांव निवासी शिवनाथ पत्नी शांती को लेकर आए थे। उनको तेज बुखार,उल्टी व दस्त की शिकायत थी। शिवनाथ ने उसी खिड़की से चिकित्सक को आवाज लगाई। दस मिनट बाद कमरे से एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी निकला, समस्या पूछी और चला गया। दस मिनट बाद वह सीधे इंजेक्शन लेकर आया और बाहर आकर महिला को लगा दिया। वहीं, कोविड जांच कक्ष में भी 12 बजे ताला लग गया।

सुबह दस बजे : डीह सीएचसी

इमरजेंसी में डॉ. अरविद पांडेय मरीजों को देख रहे थे। फार्मासिस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के कारण अस्पताल का सैनिटाइजेशन किया जा रहा था। इमरजेंसी में इलाज के लिए एक महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई तो उसे रोक लिया गया और उसके पति को जरूरी दवाएं दी गईं। सीएचसी की ओपीडी बंद होने के कारण निजी चिकित्सकों के क्लीनिक पर रोगियों की भीड़ रही।

सुबह 10.30 बजे : डलमऊ सीएचसी प्रभारी अधीक्षक डॉ. प्रदीप गुप्त ने ईएमओ की जिम्मेदारी संभाल रखी थी। 20 से 25 मरीज सीटों पर दूर-दूर बैठे थे। क्रम से उन्हें बुलाकर इलाज किया जा रहा था। यहां के दो चिकित्सकों की ड्यूटी एल-टू हॉस्पिटल में लग गई। इस कारण कई मरीज बिना इलाज कराए ही लौट गए। अधीक्षक का कहना है कि जीवन रक्षक दवाओं की कमी नहीं है।

पूर्वाह्न 11.15 बजे : सीएचसी हरचंदपुर ओपीडी कक्ष में सन्नाटा पसरा मिला। हाल में लोग टीकाकरण के लिए अपने नंबर का इंतजार करते मिले। लैब में कोरोना जांच की जा रही थी। आंख की बीमारी से ग्रसित अड़ोबर के रंजीत इलाज के लिए आए, लेकिन ऑप्टोमेट्रिस्ट न होने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा। हरचंदपुर के अशोक वर्मा की हड्डियों में दर्द था। इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक ने उनका इलाज किया।

दोपहर 12.45 बजे : सीएचसी शिवगढ़ इमरजेंसी में डॉ. प्रेम और फार्मासिस्ट अनुपम शुक्ल ड्यूटी करते मिले। कोई मरीज नहीं था। कुछ लोग दवा काउंटर से दवा ले रहे थे। अधीक्षक राजेश कुमार गौतम से जब पूछा गया कि सात डॉक्टरों में से सिर्फ एक ही अस्पताल में मौजूद? इस पर वे टालमटोल करने लगे। डॉक्टरों के न होने के कारण झोलाछाप के यहां मरीजों की भीड़ नजर आई।

दोपहर एक बजे : सीएचसी जतुआ टप्पा इमरजेंसी में एक वृद्धा स्ट्रेचर पर लेटी खांस रही थी, डॉक्टर अपनी सीट पर बैठे थे। उसका चेकअप कोई नहीं कर रहा था। तीन मरीजों का एंटीजन टेस्ट चल रहा था, जिसमें एक महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। उसे दूसरे मरीजों से दूर बैठा दिया गया। अधीक्षक बृजेश कुमार ने बताया कि सीएचसी में सिर्फ दो डॉक्टर हैं और ज्यादातर स्टाफ कोरोना पॉजिटिव है।

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