ओवरलोडिग से हांफ रहे प्रगतिपुरम व अमावां उपकेंद्र की बढ़ेगी क्षमता
--- पांच-पांच एमवीए के एक-एक नए ट्रांसफार्मर लगवाने का प्रस्ताव मंजूर --- गर्मी के पहले पूरा होगा काम 10 हजार उपभोक्ताओं को मिलेगा फायदा
रायबरेली : ओवरलोडिग से जूझ रहे शहर के बिजली उपकेंद्र प्रगतिपुरम और अमावां की क्षमता वृद्धि कराई जाएगी। स्थानीय स्तर से इसके लिए भेजे गए प्रस्ताव को पॉवर कॉरपोरेशन के उच्चाधिकारियों ने हरी झंडी दे दी है। इस क्षमता वृद्धि का लाभ 10 हजार उपभोक्ताओं को मिलेगा।
विद्युत वितरण खंड-प्रथम के कार्यक्षेत्र में आने वाले इन दोनों ही उपकेंद्रों की क्षमता अभी 10-10 एमवीए है। प्रगतिपुरम से करीब सात हजार तो अमावां में तीन हजार उपभोक्ता जुड़े हुए हैं। अमावां में उपभोक्ताओं की संख्या कम तो है, लेकिन यहां तमाम उद्योगों के बड़े कनेक्शन हैं। इस नाते बराबर क्षमता का होने के बाद भी प्रगतिपुरम की तरह यह उपकेंद्र भी ओवरलोड था।
इनसेट
गर्मी में मिलेगी बिजली समस्या से राहत
दोनों उपकेंद्रों में पांच-पांच एमवीए के एक-एक नए ट्रांसफार्मर लगवाए जाएंगे। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद अब टेंडर समेत अन्य प्रक्रियाएं पूरी कराई जा रहीं हैं। अफसरों ने गर्मी के पहले इस कार्य को पूरा करने का खाका खींचा है। इनकी भी सुनें
दो उपकेंद्रों की क्षमता वृद्धि कराई जा रही है। जल्द से जल्द काम शुरू करने का प्रयास किया जाएगा ताकि, अतिशीघ्र उपभोक्ताओं को राहत मिल सके।
ओपी सिंह
अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खंड प्रथम
रजौली माइनर में पानी न आने से ग्रामीणों में आक्रोश रायबरेली : रजौली माइनर में पानी न आने के कारण फसलों की बोआई और सिचाई प्रभावित हो रही है। सफाई के नाम पर भी सिर्फ औपचारिकताएं की जा रही हैं। पानी न छोड़े जाने से किसानों में काफी आक्रोश है।
करीब दो माह से नहरों और माइनरों की सफाई कराने के नाम पर पानी आपूर्ति बंद कर दी गई है। सफाई के लिए 10 दिसंबर का समय निर्धारित था, जिसके बाद पानी छोड़े जाने के निर्देश दिए गए थे। भगवल गांव के निकट से निकली रजौली माइनर की अभी तक सफाई नहीं हो सकी। कहीं-कहीं सफाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता की जा रही है।
अभी भी माइनर जंगली खरपतवार से पटी हुई है। किसान गिरीश कुमार ने बताया कि सफाई न होने के कारण माइनर की पटरियां कट जाती हैं। इससे पानी अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पाता है। किसान विजय कुमार ने बताया कि रजौली माइनर की लंबाई आठ किमी से अधिक है। करीब 30 वर्ष बाद माइनर में पानी आ सका था, जिसके बाद अ<स्हृद्द-क्तञ्जस्>छी फसल होने की कुछ उम्मीदें दिखी थीं। गत एक वर्ष तक पानी आया। इनकी सुनें, माइनर की सफाई का ठेका दिया गया है। किसानों को समय से पानी मिले, इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। किसानों को परेशानी नहीं होने पाएगी।
रामेंद्र साहू, अवर अभियंता