डॉक्टर बिटिया बन पिता के सपनों को किया साकार

नारी सशक्तीकरण नमो देव्यै महा देव्यै - किराना की दुकान चलाने वाले पिता भाई भी बन चुका है चिकित्सक

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Oct 2020 12:18 AM (IST) Updated:Mon, 19 Oct 2020 05:09 AM (IST)
डॉक्टर बिटिया बन पिता के सपनों को किया साकार
डॉक्टर बिटिया बन पिता के सपनों को किया साकार

विकास बाजपेयी, डलमऊ (रायबरेली) : बेटा अगर दीपक है तो बेटी बाती। यह सिर्फ कहने की बात नहीं बल्कि हकीकत भी है। बेटा और बेटी को समान मानकर पढ़ा-लिखाकर कुछ करने के लिए प्रेरित करने वाले माता-पिता के सपनों को बेटियां साकार कर रही हैं। अपनी मेहनत और लगन के दम पर परिवार का नाम रोशन कर रही हैं। कुछ ऐसा ही एक छोटे से कस्बे की बेटी ने कर दिखाया। पिता के सपनों को साकार करते हुए डॉक्टर बिटिया कहलाने लगी। आज माता-पिता अपनी बेटी को नाम से नहीं बल्कि डाक्टर बिटिया कहकर पुकारते हैं। कहते हैं कि यह तो हमारी शान है।

जी हां, हम बात कर रहे हैं मुराई बाग कस्बे में एक छोटी सी किराने की दुकान करने वाले शीतला प्रसाद गुप्त की बेटी नीलिमा गुप्ता की। उन्होंने बेटा और बेटी में कोई भेदभाव नहीं किया। दोनों बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए जी-जान लगा दिया। नतीजा बेटा चिकित्सक बन गया। भाई को डॉक्टर बनने से खुश होकर नीलिमा ने भी इसी को लक्ष्य बनाया। पिता के सपने को साकार करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। वर्ष 2005 सीपीएमटी की परीक्षा में सफलता और फिर एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। इसके बाद नीलिमा गुप्ता के नाम के आगे डॉ. जुड़ गया। बेटी की सफलता से पूरा परिवार गदगद है। वहीं अब वह दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी हुर्इं हैं। वर्तमान में डॉ. नीलिमा गुप्ता पीजीआई लखनऊ में सेवा दे रही हैं। साथ ही एमडी पैथालॉजी की डिग्री के लिए अध्यनरत हैं। इनसेट

गरीबों की करतीं हैं मदद

पिता शीतल प्रसाद गुप्ता किराने की एक छोटी दुकान चलाते हैं। वे कहते है कि दोनों ही बच्चे शुरू से मेधावी थी। यहीं के विद्यालय में पढ़े। हां नीलिमा का व्यवहार सबसे अलग है। वह सदैव गरीबों व जरूरतमंदों की मदद करने को तैयार रही है। मैने कभी भी दोनों बच्चों में भेदभाव नहीं किया।

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