रायबरेली और प्रतापगढ़ के किसानों के लिए अभिशाप 'बकुलाही'

25 वर्षों से ऊंचाहार सलोन और प्रतापगढ़ की हजारों हेक्टेयर भूमि सीपेज से प्रभावित

By JagranEdited By: Publish:Sat, 14 Nov 2020 12:35 AM (IST) Updated:Sat, 14 Nov 2020 12:35 AM (IST)
रायबरेली और प्रतापगढ़ के किसानों के लिए अभिशाप 
'बकुलाही'
रायबरेली और प्रतापगढ़ के किसानों के लिए अभिशाप 'बकुलाही'

रायबरेली : बकुलाही झील का अभिशाप हजारों किसान पिछले ढाई दशक से झेल रहे हैं। सीपेज से खेत बंजर होते जा रहे हैं। अन्नदाता खेती के बजाय परदेश जाकर रोजी रोटी का जुगाड़ कर रहे हैं। बड़े काश्तकार भी मेहनत मजदूरी करने को मजबूर हैं। बजट की आस में समय बीतता जा रहा है मगर रायबरेली और प्रतापगढ़ जिले के किसानों को राहत मिलती नहीं दिख रही है।

सलोन विकास खंड से निकली यह झील रोहनिया ब्लॉक के मध्य से प्रतापगढ़ में प्रवेश करती है। रोहनिया के रायपुर, तामसगढ़, सुमेरबाग, उमरन, अड्डा, गंगेहरा गुलालगंज, मिश्र पुर सहित करीब दो दर्जन ऐसे गांव हैं, जो तीन तरफ से सीपेज का शिकार हैं। इन गांवों में एक तरफ शारदा सहायक नहर है तो दूसरी ओर एनटीपीसी का ऐश पांड, तीसरी ओर बकुलाही झील का विकराल रूप इन गांवों को टापू बना देता है। यही मंजर पड़ोसी जनपद के उन गांवों का है जोकि झील के अगल-बगल बसे हैं। इस झील की सफाई न होने के कारण दोनों जनपदों के हजारों किसानों की जीविका प्रभावित हो रही है। किसानों को पुश्तैनी जमीन तो मिली है, लेकिन यह उनकी भूख नहीं मिटा पा रही है। कभी अच्छी बरसात हो जाती है तो हालात और बदतर हो जाते हैं। विधायक बोले,

ऊंचाहार विधायक डॉ. मनोज पांडेय का कहना है कि करीब 25 वर्षों से सीपेज की समस्या बनी हुई है। 2015-16 के वार्षिक बजट में उनकी मांग पर 122 करोड़ का इस्टीमेट तैयार किया गया था। 2016 में काम के लिए दस करोड़ का बजट रिलीज किया गया। काम प्रारंभ किया गया, मगर फिर विधानसभा के चुनाव आ गए। उसके बाद से काम ठप है। वर्ष 2019 में उन्होंने फिर इसकी सफाई की मांग उठाई, जिस पर सरकार ने बजट उपलब्ध होते ही काम शुरू कराने का आश्वासन दिया है। पूर्व में ऊंचाहार विधानसभा में इस झील की सफाई के लिए 28 करोड़ का बजट स्वीकार किया गया था।

एसडीएम बोले,

मुझे बकुलाही झील की सफाई के लिए पूर्व में बजट मिलने की जानकारी नहीं है। दूसरे विभाग के पास ये काम गया होगा।

केशव नाथ गुप्ता, एसडीएम ऊंचाहार

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