आधी आबादी मांग रही कर्ज, बैंक नहीं निभा रहे जिम्मेदारी
-महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मनमानी बनी रोड़ा
रायबरेली : आधी आबादी अब किसी से पीछे नहीं है। यही वजह है कि सरकार की ओर से लगातार आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एलआरएलएम) के तहत बैंकों से ऋण दिलाया जाता है, ताकि उनकी राह में आर्थिक तंगी रोड़ा न बन सके। इसके बावजूद बैंकों द्वारा दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है। अब तक आंकड़ों पर गौर करें तो महज 75 आवेदकों को ऋण ही वितरित किए गए हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में आवेदनों पर एक नजर
आवेदन - स्वीकृत- लंबित- निरस्त- बैंक का नाम
192 - 55 - 11 - 126- बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक
76 - 11 - 11- 54- बैंक ऑफ बड़ौदा
22 - 5- 13 - 4 - इंडियन बैंक
11 - 3 - 2 - 6 - पंजाब नेशनल बैंक
3 - 1 - 2 - 0 - स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
6 - 0 - 6 - 0 - सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
11 - 0 - 11 - 0 - यूको बैंक
2 - 0 - 2 - 0 - यूनियन बैंक
4 - 0 - 4 - 0 - एचडीएफसी बैंक
1 - 0 - 1 - 0 - केनरा बैंक
नंबर गेम
समूहों के ऋण की स्थिति
5500 - स्वयं सहायता समूह
328 - आवेदन
75 - ऋण वितरित
62 - लंबित आवेदन
190- निरस्त आवेदन
डीएम ने कार्रवाई के दिए निर्देश
जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने जिला स्तरीय समीक्षा समिति एवं जिला स्तरीय समन्वयक समिति की बैठक में बैंक प्रबंधकों को ऋण संबंधी मामलों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही चेतावनी भी दी कि यदि कहीं पर जान बूझकर लेटलतीफ किया जाता है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई तय है।
वर्जन
समूहों को ऋण दिलाने के लिए बैंकों से लगातार संपर्क किया जा रहा है। वर्तमान में लंबित प्रकरणों को जल्द ही निस्तारित करा दिया जाएगा। समूहों के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना प्राथमिकता है।
आदित्य कुमार, उपायुक्त, स्वत: रोजगार एनआरएलएम