भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी अमृत योजना

- सीवर प्रोजेक्ट पर भारी कमीशन का खेल सोते रहे जिम्मेदार अधिकारी -सड़क धंसने के मामले में अबतक नहीं तय हो सकी जवाबदेही

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 12:14 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 12:14 AM (IST)
भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी अमृत योजना
भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी अमृत योजना

रायबरेली : अमृत योजना। नाम के मुताबिक योजना का काम भी। सीवर की समस्या से जूझ रहे 80 प्रतिशत शहर की आबादी को बेहतर सुविधाएं दिलाने के लिए इसे मंजूरी मिली। पहला चरण शुरू हुआ तो लोगों को लगा कि अब समस्याएं महज कुछ ही समय की हैं, लेकिन हुआ कुछ और ही। पिछले तीन साल से अमृत योजना भ्रष्टाचार के दलदल में ऐसे फंसी कि अब तक नहीं निकल सकी। अफसर भी आंख मूंदे रहे। दुश्वारियों से जूझ रहे हजारों लोगों ने सड़क जाम तो कभी प्रदर्शन किया, लेकिन नींद तब टूटी जब उनके ही अपने आशियाने के पास की सड़क बारिश में धंस गई। इसी मार्ग पर पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस और फील्ड हॉस्टल है। यहां पर मंत्री से लेकर शासन और जिले स्तर के अधिकारी आते-जाते हैं। ऐसे में अफसरों ने भी तेजी दिखाई। जिस फर्म की मनमानी से परेशान लोग गला फाड़-फाड़कर चिल्ला रहे थे, इसके बावजूद जिम्मेदारों को कान में आवाज नहीं पहुंची। वही, जिम्मेदार मौके पर दौड़े चले आए। अब देखना है कि कमीशन के गाढ़े रंग में रंगे सीवर प्रोजेक्ट के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होती है या फिर पहले की ही तरह लीपापोती कर दी जाती है।

अमृत योजना से नगर पालिका क्षेत्र में चल रहा काम

परियोजना का नाम - स्वीकृत लागत

सीवरेज योजना प्रथम चरण- 49.83 करोड़

सीवरेज योजना द्वितीय चरण- 62.05 करोड़

फीकल स्लज प्रबंधन कार्य- 4.62 करोड़

सीवरेज योजना तृतीय चरण - 187.17 करोड़

अभियान चलाकर जागरण ने खोली थी पोल

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी इस योजना को लेकर दैनिक जागरण ने अभियान चलाया। निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल से लेकर मिट्टी चोरी तक की खबर प्रकाशित की गई। दौड़े-भागे अफसर भी मौके पर पहुंचे और चोरी पकड़ी। इसके बाद पूरी कार्रवाई नोटिस पर आकर सिमट गई। यही वजह है कि कार्यदायी संस्था की आड़ में गड़बड़झाला कर रहे तोमर कांस्ट्रक्शन पर कार्रवाई अबतक नहीं हो सकी।

नोडल अफसर भी बने रहे मूकदर्शक

डीएम ने नगर निकाय की व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए सिटी मजिस्ट्रेट को नोडल अफसर बनाया। उद्देश्य भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना। आठ नगर पंचायतों की कौन कहे, जहां पर बैठे हैं वहां नाक के नीचे ही पारदर्शिता नहीं ला सके। अमृत योजना से सीवर हो या फिर सामुदायिक शौचालय निर्माण, नाला सफाई के नाम पर भी सरकारी धन की बंदरबांट हो रही है। कागजों पर सबकुछ ओके करके खेल होता रहा। प्रकरण में जिलाधिकारी द्वारा सख्त कदम उठाया गया है। स्पष्ट लहजे में कहा है कि जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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