तैयार नहीं हो सकी अनमोल सपनों की अमोल विहार कॉलोनी
सई नदी के तट पर शहीद स्मारक के निकट विकास प्राधिकरण बसा रहा है शहर की नई बस्ती
रायबरेली : हर कोई चाहता है कि उसका अपना एक घर हो। इसी के लिए पाई-पाई जोड़ता है। विकास प्राधिकरण ने जब अमोल विहार कॉलोनी की योजना बनाई तो लोगों में उम्मीद जगी। अपने अनमोल सपने को पूरा करने के लिए आरडीए के मकानों पर रुपये लगा दिए। उम्मीदें तब और जवां हो गईं, जब आवंटन हुआ, लेकिन अब तक कब्जा न मिलने से लोगों में मायूसी है।
शहीद स्मारक के निकट बसाई जा रही इस कॉलोनी में एलआइजी, एमआइजी के मकानों के साथ टू-बीएचके, थ्री-बीएचके फ्लैट के अलावा भूखंड भी हैं। वर्ष 2013 में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ था। इन फ्लैट को छोड़ दें तो अन्य सभी मकान आवंटित हो चुके हैं। भूखंड भी बिक गए हैं, लेकिन अब तक कॉलोनी तैयार नहीं हो सकी। यहां तक कि आवंटन मकानों में भी बहुत से ऐसे हैं, जो अभी तैयार नहीं हुए हैं। यही नहीं यहां सड़कें जैसी अन्य कई मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। आवंटी कभी कॉलोनी तो कभी विकास प्राधिकरण के चक्कर लगाते हैं, केवल यह जानने की खातिर कि आखिर कब्जा कब मिलेगा।
इनसेट
आंकड़ों पर एक नजर
एलआइजी आवास - 28
एमआइजी आवास - 50
फ्लैट टू-बीएचके - 08
फ्लैट थ्री-बीएचके - 08
भूखंड -70 इनसेट
पूर्ण हुए आवास
एलआइजी - 00
एमआइजी - 32
फ्लैट - 16
भूखंड-70 इनकी भी सुनें
अमोल विहार कॉलोनी में तमाम आवास पूर्ण हो चुके हैं। उनमें आवंटियों ने रहना भी शुरू कर दिया है। कुछ आवास हैं, जिनमें फिनिशिग का काम चल रहा है। जल्द ही इन्हें भी आवंटियों के सिपुर्द कर दिया जाएगा।
बीपी मौर्य
प्रभारी सचिव, आरडीए