भारांक में ऊपर और सूची में नीचे, नाम भी गायब
दोपहर दो बजे के बाद शुरू हुई आवंटन प्रक्रिया देर शाम तक 75 को मिला विद्यालय
रायबरेली : अंतरजनपदीय स्थानांतरण में शिक्षकों की मुश्किलें कम होती नहीं दिखाई दे रही हैं। जैसे-तैसे करके सूची में नाम शामिल तो हो गया। अब विद्यालय आवंटन के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कुछ के नाम सूची से गायब हैं, कइयों के भारांक में अच्छे नंबर होने के बाद भी नीचे कर दिया गया। पीड़ित महिला शिक्षक इधर-उधर चक्कर लगाती रहीं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अफसर भी हैरान और परेशान रहे। कभी सर्वर डाउन तो, कभी तकनीकी खामी। देर शाम तक चली प्रक्रिया में 75 दिव्यांग और महिला शिक्षकों को विद्यालय आवंटित हो सका। शेष को अगले दिन आने की बात कहकर लौटा दिया गया।
शुक्रवार को विकास भवन स्थित बेसिक शिक्षा विभाग के सामने सुबह से ही महिला शिक्षकों की भीड़ जुट गई। व्यवस्था चाक-चौबंद रहे, इसके लिए बीएसए मुस्तैद दिखे। कहीं किसी को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए कुर्सी से लेकर पानी तक की व्यवस्था कराई। करीब 12 बजे महिला शिक्षकों की सूची चस्पा की गई। दो बजे के करीब पहले दिव्यांग महिला और फिर पुरुष को बुलाया गया। इसके बाद महिला शिक्षकों को एक-एक करके बुलाया जाने लगा। व्यवस्था पारदर्शी हो, इसके लिए बाहर एक एलईडी स्क्रीन लगी है। बीएसए आनंद प्रकाश शर्मा ने बताया कि 447 में से 75 महिला शिक्षकों को विद्यालय आवंटन किया जा सका।
नाम गायब, क्रम में गड़बड़ी
सूची चस्पा होने के बाद दो महिला शिक्षकों ने यह कहते हुए विरोध जताया कि उनके नाम नहीं हैं। गैरजनपद से आने संबंधित दस्तावेज भी दिखाए। दो टीचरों ने यह कहकर विरोध जताया कि भारांक अधिक होने के बाद भी क्रम में गड़बड़ी है।
डबडबा आईं आंखें, बोलीं कोई सुनने वाला नहीं
उन्नाव से अंतरजनपदीय स्थानांतरण में आईं प्रीती तिवारी इस कदर परेशान हो गईं कि व्यथा सुनाते समय उनकी आंखें डबडबा आईं। कहने लगीं कि भारांक 22 है। सूची में तीन सौ से अधिक नंबर पर नाम है। इसी तरह सीमा वर्मा भी परेशान दिखीं। कहा कि कोई सुनने वाला नहीं है। मुझसे कम भारांक वालों को आगे कर दिया गया। ऐसे में तो हमें विद्यालय चयन में परेशानी होगी।