घूंघट की ओट, सास-ननद संग बहू ने डाला वोट
बूथों पर महिला मतदाताओं की सुबह से लगी रही लंबी कतार चिलचिलाती धूप को दरकिनार वोट डालने पहुंचीं नई नवेली दुल्हन।
दिलीप सिंह, रायबरेली
लोकतंत्र के उत्सव में आधी आबादी ने बढ़ चढ़कर भागीदारी की। कहीं मां- बेटी तो कहीं सास-ननद संग बहुएं घूंघट की ओट में वोट डालने पहुंचीं। नवेली दुल्हनों ने भी चिलचिलाती धूप की परवाह किए बगैर इस पर्व में अहम भूमिका निभाई।
सुबह हुई तो सबसे पहले महिलाओं ने घर के कामकाज निपटाए। चूल्हा-चौका कर मित्र मंडली एकत्र हुई, फिर इनके कदम बूथों की ओर चल पड़े। सास-ननद संग बूथों तक पहुंचीं बहुओं ने घूंघट निकाल रखे थे। कतार में लगकर मतदान किया, फिर घर को वापस हो गईं। इस दौरान रास्ते में प्रत्याशियों द्वारा मनुहार भी की जाती रही। जिले में 21.18 लाख मतदाता हैं। इसमें बड़ी तादाद महिला मतदाताओं की है। इनकी संख्या करीब आठ लाख के इर्द-गिर्द है। यह संख्या पुरुषों से भले ही कम हो, मगर मतदान में महिलाएं, पुरुषों से काफी आगे दिखीं। सुबह दरीबा के पास कुछ महिलाएं खेतों से काम निपटाकर आ रही थीं। वोट डालने को लेकर सवाल हुआ तो राजेश्वरी बोल पड़ीं। अब काम निपटाकर आएं हैं, हम सभी वोट देने जरूर जाएंगे। इन्हें पता है कि गांव की सरकार बनाने में एक-एक वोट कीमती है। अगर उनके कदम ठिठके तो परिणाम गलत आ सकते हैं। यही वजह रही कि मतदान के इस महाकुंभ में महिलाओं ने बढ़ चढ़कर भागीदारी की।
20 दिन के बच्चे संग वोट डालने पहुंचीं अंजू :
गांव की सरकार चुनने का जज्बा या फिर यूं कहें कि विकास को रफ्तार देने की चाहत में अंजू के कदम खुद ब खुद बूथ की ओर चल पड़े। महराजगंज क्षेत्र के जमुरावां गांव में 20 दिन के बच्चे को लेकर पहुंचीं अंजू कहती हैं कि मौका मिला है। इसे हाथ से क्यों जाने दें। इसी तरह बीमार गौरा देवी सबकुछ भूलकर मतदान करने पहुंच गईं। बोलीं कि बीमारी तो दूर हो जाएगी। मतदान नहीं किया तो पांच साल तक पछताना पड़ेगा।