कुछ कह रहा आपका दिल, सुनिए तो सही

भागदौड़ भरी जीवनशैली बिना सोचे-समझे खाने पाने की आदत से स्वास्थ्य उपेक्षित हो गया है। खासकर दिल यानि हृदय की कम सुनी जा रही है। उसके संकेतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। उलझन जी मिचलाना सांस लेने में परेशानी बेचैनी सामान्य से अधिक पसीने का निकलना और हृदय कसा-कसा लगना। यह संकेत अगर दिल दे रहा है तो संभल जाएं। चिकित्सक से मिल लेने में ही भलाई है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 05:37 AM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 05:37 AM (IST)
कुछ कह रहा आपका दिल, सुनिए तो सही
कुछ कह रहा आपका दिल, सुनिए तो सही

जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : भागदौड़ भरी जीवनशैली, बिना सोचे-समझे खाने पाने की आदत से स्वास्थ्य उपेक्षित हो गया है। खासकर दिल यानि हृदय की कम सुनी जा रही है। उसके संकेतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। उलझन, जी मिचलाना, सांस लेने में परेशानी, बेचैनी, सामान्य से अधिक पसीने का निकलना और हृदय कसा-कसा लगना। यह संकेत अगर दिल दे रहा है तो संभल जाएं। चिकित्सक से मिल लेने में ही भलाई है।

कोरोना काल में तो दिल के मरीजों की मुश्किल और बढ़ गई है। वैसे तो हृदय को हमेशा ही खतरा रहता है, पर कोरोना काल की बात करें तो जिले में इस वायरस से हुई 42 मौतों में अधिकांश में हृदयगति रुकना मुख्य वजह रही है। विश्व हृदय दिवस पर भी जिले में हृदय रोग के कारण, कोरोना काल में खास सतर्कता के बारे में बताने को स्वास्थ्य महकमे की कोई तैयारी नहीं दिखती। दूसरे अंगों की अपेक्षा हृदय की मांसपेशिया कमजोर होती हैं। उनकी नलियों में खून के थक्के जमने का मतलब है मौत। कोरोना संक्रमण में हृदय को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाती। यही वजह है कि कोरोना का संक्रमण तो बाद में जानलेवा होता है, दिल पहले दगा दे जाता है। चिकित्सकों का मानना है कि हृदय रोग न हो इसके लिए कोरोना से बचना चाहिए, कोलेस्ट्राल भी बढ़ने नहीं देना चाहिए।

जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डा. आरपी चौबे बताते हैं कि कुछ देशों में कोरोना से हुई मौत के बाद पोस्टमार्टम करने के बाद मौत की खास वजह की जानकारी हुई। पता चला कि हृदय को आक्सीजन सप्लाई करने वाली नसों में खून के थक्के जम गए थे। अब इसी लक्षण के अनुसार चिकित्सक नए मरीजों का इलाज कर रहे हैं, जिससे मौतों की रफ्तार थोड़ी थमी है।

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नहीं है इलाज का इंतजाम

जिला अस्पताल में पिछले दस साल से हृदय रोग विभाग बंद है। यहां आइसीयू भी खुला था, जो चल नहीं सका। हृदय रोग विभाग के लिए कम से कम तीन डाक्टर, चार स्टाफ नर्स और चार वार्ड ब्वाय होने चाहिए। शासन यह मैन पावर नहीं दे सका। ऐसे में मरीज फिजीशियन के भरोसे हैं। इन दिनों हृदय रोग विभाग में नेत्र विभाग को शिफ्ट कर दिया गया है।

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ऐसा करें तो खुश रहेगा दिल

-सुबह रोज नाश्ता जरूर करें। उसमें अंकुरित अनाज, मौसमी फल भी लें।

-अखरोट, बादाम, ओट्स खाने से हृदय के लिए जरूरी पोषण मिलता है।

-बिना मलाई का दूध और दही हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

-तनाव में न रहें, बहुत देर एक ही मुद्रा में नहीं बैठें। टहलें, खेलें भी जरूर।

-बीड़ी, सिगरेट और शराब की लत हृदय को कमजोर करती है, इससे बचें।

-कम से कम सात से आठ घंटे तक रात में जरूर सोएं। इसमें खलल न हो।

-कोलेस्ट्राल को बढ़ने न दें। पेट की चर्बी से हृदयाघात का खतरा होता है।

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