प्रसव के बाद महिला-बच्चे की मौत, हंगामा

राजकीय मेडिकल कालेज के अस्पताल के पास निजी नर्सिंग होम में महिला और बच्चे ने दम तोड़ दिया। आक्रोशित घर वालों ने अस्पताल स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। कहा कि आशा लेकर वहां गई थी। बचने के लिए अस्पताल का संचालक दोनों शव को बाहर निकालकर भाग निकला। पुलिस ने उनको शांत कराकर घर भेजा। इसके बाद जानकारी पाने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने नर्सिंग होम को सील कर दिया। सीएमओ डा. एके श्रीवास्तव ने बताया कि पीड़ितों ने शिकायत नहीं की है। विभाग ने स्वत संज्ञान लेकर कार्रवाई की है। आगे की जांच के लिए डिप्टी सीएमओ डा. एसके सिंह को जिम्मेदारी दी है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 11:04 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 11:04 PM (IST)
प्रसव के बाद महिला-बच्चे की मौत, हंगामा
प्रसव के बाद महिला-बच्चे की मौत, हंगामा

जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : राजकीय मेडिकल कालेज के अस्पताल के पास निजी नर्सिंग होम में महिला और बच्चे ने दम तोड़ दिया। आक्रोशित घर वालों ने अस्पताल स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। कहा कि आशा लेकर वहां गई थी। बचने के लिए अस्पताल का संचालक दोनों शव को बाहर निकालकर भाग निकला। पुलिस ने उनको शांत कराकर घर भेजा। इसके बाद जानकारी पाने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने नर्सिंग होम को सील कर दिया। सीएमओ डा. एके श्रीवास्तव ने बताया कि पीड़ितों ने शिकायत नहीं की है। विभाग ने स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई की है। आगे की जांच के लिए डिप्टी सीएमओ डा. एसके सिंह को जिम्मेदारी दी है।

नगर कोतवाली के चांदपुर गांव के संतोष यादव की पत्नी रूपा यादव गर्भवती थी। तीन दिन पहले बुखार होने पर घर के लोग उसे लेकर महिला अस्पताल पहुंचे। वहां पर नर्स ने चेक किया तो बताया कि अभी बच्चा होने में समय है। बुखार का उपचार कहीं करा लो। इस बीच एक आशा ने अपनी खास उसी अस्पताल में तैनात एक महिला चिकित्सक के नाम से उसे बरगलाया। कहा कि अस्पताल के पास ही में नर्सिंग होम है। उसमें भर्ती करा दो। महिला को वहां ले जाया गया तो रविवार रात करीब एक बजे मृत बच्चा पैदा हुआ। कुछ ही देर में रूपा की भी जान चली गई। इस पर घर वालों को बिना ठीक से बताए वहां के स्टाफ ने भोर में ही दोनों शवों को अस्पताल से बाहर निकाल दिया व ताला बंदकर भाग गए। सुबह घर के लोग पहुंचे व हंगामा करने लगे। अचानक बोर्ड गायब

जिस भवन में नर्सिंग होम चल रहा था, उसके लोगों ने उसके नाम का बोर्ड हटा दिया। जब इंटरनेट मीडिया पर खबर वायरल होने लगी तो बहुत से लोग घटनास्थल पर पहुंचे। वहां कोई बोर्ड नहीं था। वहां मिले लोग कह रहे थे कि यहां ऐसा कोई नर्सिंग होम नहीं है। बेंच पर लेटाया गया

गर्भवती को उक्त नर्सिग होम में बेंच पर ही तीन घंटे रोकने पर गंभीर हो गई। जांच के नाम पर कई बार सीढ़ी से नीचे-ऊपर ले जाया गया। रूपा के परिवार के सदस्य मनोज कुमार ने बयान दिया कि उसके मरीज के साथ खिलवाड़ किया गया, जिससे हादसा हो गया। खुलेआम मौत बांट रहे एक-दो कमरों वाले नर्सिग होम

जासं, प्रतापगढ़ : विभाग की सूची में शहर में 140 निजी अस्पताल ही पंजीकृत हैं। इनको ही मरीजों का उपचार करने की अनुमति है, लेकिन 250 से अधिक निजी चिकित्सालय संचालित हैं। कहीं एक कमरे में कहीं दो में अस्पताल खुले हैं। न समुचित डिग्री वाले चिकित्सक हैं न ट्रेंड पैरामेडिकल कर्मी ही।

सीएमओ कार्यालय की नाक के नीचे चल रहा अस्पताल महज डेढ़ कमरे में चल रहा था। उसमें गर्भवती केस भर्ती कर लिया गया। कौन है डाक्टर, कौन नर्स है पता नहीं। मेडिकल कालेज के आसपास इस तरह के निजी अस्पतालों का जाल फैला है। इससे तय है कि संरक्षण ऐसे लोगों का है, जो चिकित्सा के नाम पर जिदगी को मौत में बदल रहे हैं। हादसा होने के बाद कई संचालक महीने-दो महीने बाद बोर्ड बदलकर फिर से दुकान सजा लेते हैं। नाम किसी का, अंदर कोई और

बोर्ड पर जिस डाक्टर का नाम दिखता है। लेकिन झोलाछाप के जिम्मे व्यवस्था है। कहीं यूनानी, कहीं आयुष तो कहीं होम्यो वाले आपरेशन कर रहे हैं। पीड़ित परिवार वीडियो में चिकित्सक का नाम ले रहा है। जिसकी सलाह पर आशा वहां ले आई थी। दोनों पर कार्रवाई हो। पहले सील, दो दिन बाद खुल जाते हैं नर्सिंग होम

स्वास्थ्य विभाग पहले भी इस तरह की घटना पर ऐसे फर्जी ढंग से चलने वाले नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई करता आ रहा है। होता यह है कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से किए गए सील किए गए नर्सिंग होम कुछ दिन बाद फिर से खुल जाते हैं।

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