किसानों के अरमानों पर फिरा पानी ,धान को भारी नुकसान
प्रतापगढ़/गौरा मौसम की मार झेल रहे किसान अब खेतों में अपनी गाढ़ी कमाई डूबने के चलते अ
प्रतापगढ़/गौरा : मौसम की मार झेल रहे किसान अब खेतों में अपनी गाढ़ी कमाई डूबने के चलते आंसू बहाने पर विवश हैं। आंधी पानी ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है। धान की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। तैयार फसलें खेतों में गिर गई हैं और यह बर्बादी देख किसान सिसक रहे हैं ।
रविवार की रात आंधी-पानी के चलते किसानों के धान की फसल खेतों में गिर गई हैं । इसके चलते किसानों को भारी नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि उन्होंने फसल के लिए जी तोड़ मेहनत की। महंगी खाद व बीज का इंतजाम किया। अब प्रकृति की मार ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कृषि बीज केंद्र गौरा के प्रभारी गणेश शुक्ल का कहना है कि क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांव के कई किसानों ने उनके पास खेतों में धान की फसल गिरने व नुकसान के लिए अपना नाम लिखाने पहुंच रहे है। राजकीय कृषि बीज केंद्र गौरा के ग्रुप पर भी फोटो सहित मैसेज भेजा है। सूचना एकत्रित कर जिले पर भेजी जा रही है। उन्होंने बताया कि अब तक केंद्र पर अमन तिवारी,राकेश, रामसमुझ, शिवमणि, हरिश्चंद्र, राम अधार यादव, शिवप्रताप ,रेखा ,धीरेंद्र, बाल गोविद शिवपूजन, सुभाष सहित एक दर्जन से अधिक किसानों ने नुकसान होने की सूचना दी है । आंधी, तूफान वर्षा से गिरने पर व्यक्तिगत दावा नहीं पाएंगे किसान : धान की फसल आंधी तूफान वर्षा से गिरने पर व्यक्तिगत दावा किसान नहीं पाएंगे। ग्राम सभा की क्रॉप कटिग के उपरांत 50 फीसद से अधिक फसल के पैदावार में नुकसान होने पर उस गांव के बीमित कृषकों को नुकसान के आधार पर बीमा कंपनी द्वारा मुआवजा दिया जाएगा । यदि किसी किसान के द्वारा अपने फसल की कटाई कर ली गई है और खेत खलिहान में फसल सड़ गई है या नुकसान हुआ है तो ऐसी दशा में बीमित कृषक को व्यक्तिगत दावा बीमा कंपनी द्वारा दिया जाएगा। ऐसा भारत सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा गाइड लाइन में दिया गया है। यदि किसी की भी फसल नष्ट हुई है और वह बीमा कराया हो तो 72 घंटे के भीतर तहसील व कृषि अधिकारी के यहां शिकायत कर सकते हैं। जिला कृषि अधिकारी अश्वनी कुमार सिंह ने बताया कि किसान टोल फ्री नंबर पर भी नुकसान की जानकारी दे सकते हैं। टोल फ्री नंबर है- 18001030061 तथा 18001232310।, पर शिकायत की जा सकती है। उन्होंने बताया कि अभी तक 17 किसानों ने फसल नष्ट होने का व्यक्तिगत दावा किया था, जिसे बीमा कंपनी ने खारिज कर दिया।