सांसों की डोर टूटने से बचाने में लगा पूरा परिवार
इन दिनों माह-ए-रमजान में अकीदतमंद अल्लाह की इबादत कर रहे हैं। अपने व अपने परिवार की खुशहाली की दुआएं मांग रहे हैं। शहर के एक परिवार की इबादत कुछ अलग है। वह कोरोना काल में इंसानियत का पैगाम दे रहा है। कोरोना के मरीजों की टूटती सांसों को बचाने की कोशिश में लगा है। उनको आक्सीजन मुहैया कराने में सहयोग करते हुए जागरूक भी कर रहा है। इस परिवार के मुखिया के मोहम्मद सिद्दीक हैं। वह आक्सीजन के लाइसेंसी वेंडर हैं। पहले उनके यहां से आक्सीजन गैस कामर्शियल इस्तेमाल के लिए बिकती थी अब कोरोना में यही गैस जिदगी की उम्मीद बनी है। उखड़ती सांसों को टूटने से बचाने के लिए लोग प्राण वायु के लिए परेशान हो रहे हैं।
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : इन दिनों माह-ए-रमजान में अकीदतमंद अल्लाह की इबादत कर रहे हैं। अपने व अपने परिवार की खुशहाली की दुआएं मांग रहे हैं। शहर के एक परिवार की इबादत कुछ अलग है। वह कोरोना काल में इंसानियत का पैगाम दे रहा है। कोरोना के मरीजों की टूटती सांसों को बचाने की कोशिश में लगा है। उनको आक्सीजन मुहैया कराने में सहयोग करते हुए जागरूक भी कर रहा है। इस परिवार के मुखिया के मोहम्मद सिद्दीक हैं। वह आक्सीजन के लाइसेंसी वेंडर हैं। पहले उनके यहां से आक्सीजन गैस कामर्शियल इस्तेमाल के लिए बिकती थी, अब कोरोना में यही गैस जिदगी की उम्मीद बनी है। उखड़ती सांसों को टूटने से बचाने के लिए लोग प्राण वायु के लिए परेशान हो रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए सिद्दीक अब महज वेंडर नहीं, बल्कि मददगार बन गए हैं। दिन-रात आक्सीजन की मांग को देखते अब इनका पूरा परिवार मदद में लग गया है। बच्चे भी इसमें इसमें सहयोग करते हैं। आर्डर नोट करना, फोन पर जवाब देना, लोगों को समझाना, उनको आक्सीजन मिलने का भरोसा दिलाना इनका काम होता है। इन सबका रोजा इफ्तार आक्सीजन मांगते लोगों के बीच हो रहा है। न तो घर जा पा रहे, न मस्जिद जाने का वक्त मिल पा रहा है। इंसानियत के लिए दुकान को ही इबादतगाह बना रखा है। जरूरतमंदों को आक्सीजन मुहैया कराने में लगे हैं, वह भी बड़े प्यार से और मुस्करा कर परेशान लोगों का दुख बांटते हुए। अपनी भूख-प्यास को भूलकर। सिद्दीक के साथ उनके भाई मोहम्मद शरीफ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। इनमें भतीजे आमिर, वसाक व इश्तियाक के साथ ही सहयोगी सनी यादव हैं। इनका कहना है कि कोशिश यही कि आक्सीजन के अभाव में किसी की जान न जाने पाए।
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इनकी ईद भी होगी अलग
कोरोना के मरीजों व प्रशासन के हमदर्द बने इस परिवार में ईद की तैयारी खास नहीं है। यह लोग कहते हैं कि अगर उनके प्रयास से कुछ लोगों की जिदगी बच जाए तो यही ईद होगी।
-- सफर में कट रहीं रातें नैनी प्लांट से आक्सीजन भरवाकर लाने में इन लोगों की कई रातें गाड़ी में कट जाती हैं। दिन में भी लोगों की भीड़ बहुत से सवाल करती है। इन हालात का सामना यह लोग बड़े धैर्य से करते हैं।